दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर (Newsclick editor Prabir Purkayastha) पुरकायस्थ और समाचार पोर्टल के मानव संसाधन (एचआर) प्रमुख अमित चक्रवर्ती को यूएपीए के तहत उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर की एक प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) हरदीप कौर ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह दोनों आरोपियों को एफआईआर की एक प्रति प्रदान करे।
पुलिस ने मामले की ‘संवेदनशील प्रकृति’ का हवाला देते हुए दोनों आवेदनों का विरोध किया था और कहा था कि पुलिस ऐसे मामलों में एफआईआर रोक सकती है।
हालांकि, अदालत ने पुलिस के तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि आरोपियों को एफआईआर की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है।
3 अक्टूबर को दोनों की गिरफ्तारी तब हुई जब दिल्ली पुलिस ने चीन समर्थक प्रचार के लिए धन प्राप्त करने के आरोपों के बाद आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज एक मामले में ऑनलाइन समाचार पोर्टल और उसके पत्रकारों से जुड़े 30 स्थानों की तलाशी ली।
पुरकायस्थ और चक्रवर्ती ने कहा कि उन्हें कोई एफआईआर कॉपी या रिमांड आदेश उपलब्ध नहीं कराया गया। उनके वकील एडवोकेट अर्शदीप सिंह ने तर्क दिया कि एफआईआर की प्रति प्राप्त करना उनका अधिकार है।
सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) अतुल श्रीवास्तव ने आवेदनों को “अपरिपक्व” करार दिया, यह तर्क देते हुए कि पालन की जाने वाली प्रक्रियाएं हैं।
उन्होंने कहा, “पहले पुलिस आयुक्त के कार्यालय से संपर्क करें जो शिकायत देखने के लिए एक समिति गठित करेगा। यदि एफआईआर अभी भी प्रदान नहीं की गई है, तो आरोपी अदालत का रुख कर सकता है।”
उन्होंने कहा कि आरोपी को अदालत में “कूदने” के बजाय कानून के अनुसार आयुक्त से संपर्क करना चाहिए था। एपीपी ने तर्क दिया कि दोनों ने इस मामले में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
हालांकि, अदालत ने एपीपी के तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि आरोपियों को एफआईआर की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है।
अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह दोनों आरोपियों को एफआईआर की एक प्रति प्रदान करे और अगली सुनवाई तक कोई कार्रवाई न करे।
पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की गिरफ्तारी को लेकर पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह गिरफ्तारी सरकार की स्वतंत्र मीडिया पर दबाव बनाने की कोशिश है।
एफआईआर की प्रति प्राप्त करने से क्या होगा?
एफआईआर की प्रति प्राप्त करने से पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को मामले की सामग्री का पता चल सकेगा। इससे उन्हें अपने बचाव की तैयारी करने में मदद मिलेगी।
एफआईआर में आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों का विवरण होता है। इसमें जांच अधिकारियों द्वारा किए गए तथ्यों और साक्ष्यों का भी उल्लेख होता है।
पुरकायस्थ और चक्रवर्ती एफआईआर की प्रति प्राप्त करके यह पता लगा सकेंगे कि उनके खिलाफ क्या आरोप लगाए गए हैं और जांच अधिकारियों ने किन साक्ष्यों के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया है।
यह उन्हें अपने बचाव की रणनीति तैयार करने में मदद करेगा।
यह गिरफ्तारी क्यों महत्वपूर्ण है?
पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की गिरफ्तारी भारत में स्वतंत्र मीडिया पर दबाव बढ़ने की एक और घटना है।
हाल के वर्षों में, भारत में सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों और मीडिया पोर्टलों पर लगातार हमले हो रहे हैं।
पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की गिरफ्तारी को एक और संकेत माना जाता है कि सरकार स्वतंत्र मीडिया को दबाने की कोशिश कर रही है।
यह गिरफ्तारी पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच चिंता का विषय बनी हुई है।