उज्जैन (मध्य प्रदेश): सरकारी लापरवाही का एक और शर्मनाक उदाहरण! बड़नगर तहसील में 16 करोड़ रुपये की लागत से बना दो मंजिला अस्पताल खेत के बीच वीरान पड़ा है। वजह? अस्पताल तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं बनाई गई!
क्या है पूरा मामला?
- 175 गांवों की उम्मीदें धरी की धरी: 175 बेड के इस अस्पताल को 2 साल पहले बनाया गया, लेकिन आज तक एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ।
- सड़क नहीं, सिर्फ बहाने: अधिकारियों ने 58 लाख रुपये की ‘एप्रोच रोड’ स्वीकृत की, लेकिन बारिश का बहाना बनाकर काम शुरू नहीं किया।
- अस्पताल या भूतबंगला? अब खिड़कियां-दरवाजे टूटने लगे हैं, दीवारों का रंग उड़ चुका है।
अधिकारियों की ‘कलमघसीट’ जवाबदेही:
- CMHO ने मानी गलती: “सड़क नहीं बनने से अस्पताल चालू नहीं हो पाया।”
- PWD का बचाव: “बारिश के कारण देरी हो रही है।” (हालांकि, 2 साल से बारिश नहीं हो रही!)
ग्रामीणों का गुस्सा:
- “सरकार ने अस्पताल बना दिया, पर पहुंचने का रास्ता भूल गई!”
- “अब भी 10-15 किमी दूर जाकर इलाज कराना पड़ता है।”
बड़े सवाल:
- क्या 16 करोड़ रुपये सिर्फ कागजों में खर्च हुए?
- PWD और स्वास्थ्य विभाग के बीच तालमेल की कमी क्यों?
- जवाबदेही तय करेगी कौन?