World Athletics Championships 2025: टोक्यो में आयोजित वर्ल्ड थलेटिक्स चैंपियनशिप के जैवलिन थ्रो फाइनल में भारत के सचिन यादव ने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन वह पदक से मामूली अंतर से चुक गए। सचिन चौथे स्थान पर रहे और मेडल जीतने से सिर्फ 40 सेमी दूर रह गए।
फाइनल में सचिन ने किया शानदार प्रदर्शन
फाइनल मुकाबले में सचिन ने अपने करियर का सबसे बेस्ट थ्रो 86.27 मीटर फेंका। लंबे समय तक वे तीसरे स्थान पर बने रहे, लेकिन अंत में अमेरिका के कर्टिस थॉम्पसन ने 86.67 मीटर का थ्रो कर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया। इस तरह थॉम्पसन सचिन से केवल 40 सेंटीमीटर आगे रहे।
भारत के इवेंट में बड़ी उम्मीद
भारत के लिए इस इवेंट में सबसे बड़ी उम्मीद नीरज चोपड़ा से थी, लेकिन वे इस बार उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके और आठवें स्थान पर रहे। वहीं, पेरिस ओलंपिक 2024 के चैम्पियन पाकिस्तान के अरशद नदीम दसवें स्थान पर रहे। गोल्ड मेडल त्रिनिदाद एंड टोबैगो के केशोर्न वाल्कॉट ने 88.16 मीटर के थ्रो के साथ जीता, जबकि ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने 87.38 मीटर के साथ सिल्वर मेडल हासिल किया।
फाइनल की अंकतालिका
सचिन ने फाइनल में छह प्रयास किए। उनके पहले थ्रो ने ही सबका ध्यान खींचा , जब उन्होंने 86.27 मीटर की दूरी हासिल की। दूसरा थ्रो फाउल रहा, लेकिन तीसरे (85.71 मीटर) और पांचवें (85.96 मीटर) थ्रो में उन्होंने शानदार वापसी की। चौथा थ्रो 84.90 मीटर और छठा थ्रो 80.95 मीटर का रहा। सचिन के तीन थ्रो 85 मीटर से ऊपर रहे, जो उनके बेहतरीन फॉर्म को दर्शाता है। क्वालिफिकेशन राउंड में 83.67 मीटर के थ्रो के साथ उन्होंने फाइनल में जगह बनाई थी।
Sachin missed the podium by just 40cm!!! 💔
Sachin, who came to Tokyo with a season best of 85.16m, produced three throws better than that mark today in the Men’s Javelin Final at the World Athletics Championships, yet missed the podium by just 40cm with a best attempt of… pic.twitter.com/Ks7XqWCFH7
— nnis Sports (@nnis_sports) September 18, 2025
इस इवेंट में गोल्ड मेडल जीता
इस इवेंट में गोल्ड मेडल त्रिनिदाद एंड टोबैगो के केशोर्न वाल्कॉट ने जीता, जिसमे उन्होंने 88.16 मीटर का शानदार थ्रो किया। ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स 87.38 मीटर के साथ सिल्वर मेडल पर काबिज हुए। अमेरिका के कर्टिस थॉम्पसन को 86.67 मीटर के थ्रो पर ब्रॉन्ज मिला।
सचिन यादव ने भले ही मैडल चुक गए हों, लेकिन उन्होंने दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ी। भारतीय एथलेटिक्स के लिए यह ही एक सकारात्मक संकेत है।
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