पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री सुषमा स्वराज ने धारा 370 हटने पर गृहमंत्री अमित शाह को बधाई दी है।
उन्होंने ट्वीट पर लिखा, ”गृह मंत्री श्री अमित शाह जी को उत्कृष्ट भाषण के लिए बहुत बहुत बधाई।” एक अन्य ट्वीट में उन्होंने धारा 370 का समर्थन करने वालों का आभार जताते हुए लिखा, ”राज्य सभा के उन सभी सांसदों का बहुत बहुत अभिनन्दन जिन्होनें आज धारा 370 को समाप्त करने वाले संकल्प को पारित करवा कर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि दी और उनके एक भारत के सपने को साकार किया।
गाजियाबाद से सांसद और केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने भी ट्वीट के जरिए अपनी खुशी जाहिर की है। उन्होंने लिखा, ”मैंने 50 साल देश की सेवा में दिए। मगर आज जैसा गौरवशाली दिन अभी तक नहीं देखा। आज हम सही अर्थ में एक देश की तरह संगठित हो गए हैं, जहां एक ही कानून, एक ही संविधान मान्य है। यही है सुदृढ़ नेतृत्व एवं राजनैतिक इच्छाशक्ति का प्रभाव।
इससे पहले राज्यसभा में जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने के बाद जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि धारा 370 के कारण आज जम्मू-कश्मीर के लोग गुरबत की जिंदगी जी रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इसकी छाया में 3 परिवारों ने आजादी से लेकर आज तक राज्य को लूटा है। उऩ्होंने कहा कि धारा 370 के कारण ही जम्मू कश्मीर में भ्रष्टाचार पला और चरम सीमा पर पहुंचा। उन्होंने कहा कि धारा 370 ने जम्मू कश्मीर, लद्दाख और घाटी के लोगों का बहुत नुकसान किया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की जड़ भी 370 है।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता जम्हूरियत चाहती है। उन्होंने कहा कि 370 की वजह से ही जम्मू कश्मीर का विकास नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में गरीबी के पीछे भी धारा 370 ही है। उन्होंने कहा कि 35 A के कारण ही हुनरमंद लोग जम्मू कश्मीर नहीं जाते। उन्होंने कहा कि हम धर्म की राजनीति नहीं करते हैं। जम्मू कश्मीर में सिर्फ मुस्लिम नहीं रहते हैं। घाटी में मुसलमान, हिंदू, सिख, जैन सभी रहते हैं।
उन्होंने कहा कि धारा 370 अच्छी है तो सबके लिए है और बुरी है तो सबके लिए बुरी है।
अमित शाह ने कहा कि धारा 370 ने जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और घाटी के लोगों का बहुत नुकसान किया है। शरणार्थियों को आज तक नागरिकता नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 अस्थाई था और इसे कभी न कभी हटना था, लेकिन पिछली सरकारों ने वोट बैंक के लिए इसे हटाने की हिम्मत नहीं की।