रक्षा राज्य मंत्री डा सुभाष भामरे ने आज कहा कि सरकार सशस्त्र सेनाओं की हर तरह से ताकत बढाने के लिए सभी कदम उठा रही है और उन्हें आंतरिक तथा बाहरी चुनौतियों से मजबूती से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।
डा. भामरे ने यहां सैन्य कमांडरों के साल में दो बार होने वाले सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सेना देश के समक्ष खडी चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और इससे देश में विकास तथा प्रगति का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्हाेंने कहा कि सरकार सशस्त्र सेनाओं की जरूरतों से भलीभांति अवगत है। सरकार सेना की क्षमता बढाने, आधुनिकीकरण और ढांचागत विकास के प्रति वचनबद्ध है और इसमें कोई कसर नहीं छोडेगी। उन्होंने वित्तीय संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता के जरिये तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढाने पर जोर दिया।
रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि यह अच्छी बात है कि सेना देश में तथा मित्र देशों के साथ निरंतर प्रशिक्षण और अभ्यास के जरिये अपनी क्षमता बढाने में लगी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सेना को सभी तरह की आंतरिक तथा बाहरी चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहने की जरूरत है।
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि सेना की विभिन्न इकाईयों से लड़ाकू क्षमता बढाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की जरूरत पर बल दिया। संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल तथा आधुनिकीकरण के लिए उन्होंने प्राथमिकता तय करने पर भी जोर दिया।
लगभग एक सप्ताह तक चलने वाले सम्मेलन के दौरान सेना के सभी शीर्ष कमांडर संचालन तैयारियों तथा उससे जुडे तमाम मुद्दों पर गहन मंथन करेंगे। सम्मेलन में मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य , भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों और दुश्मन को परास्त करने की रणनीति पर विशेष रूप से चर्चा की जायेगी।
वरिष्ठ कमांडर क्षमता बढाने के लिए उत्तरी सीमाओं पर ढांचागत सुविधाओं को बढाने, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण रेल लाइनों की समीक्षा , गाेला बारूद सहित महत्वपूर्ण साजो सामान की कमी को उपलब्ध बजट में अधिक से अधिक पूरा करने , सीमा सडक संगठन की परियोजनाओं , चिकित्सा सुविधाओं और संचालन , प्रशासन तथा जवानों के कल्याण से जुडे मुद्दों पर भी बात करेंगे।
सैन्य कमांडरों का सम्मेलन साल में दो बार होता है और इसमें व्यापक विचार विमर्श के आधार पर सेना के विभिन्न नीतिगत निर्णयों पर सहमति बनती है। सेना की योजना, नीति और उस पर अमल के लिए यह महत्वपूर्ण मंच है।