चीन की नई चाल UUV (unmanned underwater vehicle):-
अभी तक आपने हवा में उड़ने वाला ड्रोन देखा होगा जिसे UAV कहा जाता है जो दूर बैठकर
ऑपरेट किया जा सकता है परंतु चाइना ने पानी के अंदर रहने वाला अंडरवॉटर ड्रोन विकसित कर लिया है
जिसे sea wing glider भी कहा जा रहा है।
हाई सटॉन जो की एक रक्षा विशेषज्ञ है उनकी वेब्सायट COVERT SHORE से मिली जानकारी में पता चला
की चीन अपनी बुरी नज़र हिंद महासागर में अभी भी गड़ाए हुए है
और चीन यहाँ पर 14 अंडरवॉटर ग्लाइडर तैनात करने जा रहा है।
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इसके पीछे चीन ने सफ़ाई दी है कि इसका उपयोग वो समुद्रवैज्ञानिक अनुसंधान लिए करने जा रहा है
जिस से समुद्र की आंतरिक स्थिति जैसे- समुद्र का तापमान, लवणता, अविलता, क्लोरोफ़िल,
ऑक्सिजन मात्रा, समुद्री धारा का पता किया जाएगा।
2015 में चीन ने दक्षिण चीन सागर व पूर्वी चीन सागर में
ये ड्रोन तैनात किए थे।
ये अंडरवॉटर ड्रोन चाइना अकेडेमी ऑफ़ साइयन्स इन्स्टिटूशन ओफ़ ओशनॉग्रफ़ी द्वारा
विकसित किया गया है। और ये उत्प्लावन के सिद्धांत पर कार्य करेगा।
ये एक बिना इलेक्ट्रिसिटी से चलने वाला व्हीकल है जो बहुत तेज़ तो नहीं पर लम्बे समय तक कार्य कर सकता है।
इसे ग्लाइडर क्यूँ कहा जा रहा है ?
इसके विंग स्थाई है इनके द्वारा किसी भी प्रकार का कोई मूवमेंट नहीं हो रहा है
इसके विंग का कार्य बस संतुलन के लिए है ठीक उसी तरह जैसे हवा में उड़ने वाले ग्लाइडर में होता है
पर ये चीन द्वारा निर्मित पहला पानी वाला ग्लाइडर होगा ।
इसके पीछे चीन की बुरी नियत –
पिछले कुछ महीनो से चीन ओर भारत के रिश्तों में जो खींचातानी मची हुई है
उसी के बीच चीन की ये अनुसंधान वाली चाल से स्पष्ट दिखाई दे रहा है
की अनुसंधान तो बस अभी बहाना है बल्कि भारत की हर एक हरकत पर चीन नज़र रखना चाहता है
इस वॉटर ग्लाइडर के द्वारा । थोड़े दिनो पहले भी जर्मनी की नव सेना ने हिंद
महासागर में पेट्रोलिंग की थी और भी बहुत से युद्ध अभ्यास अलग अलग देशों के द्वारा
हिंद महासागर में किए जाते है इस से चीन असुरक्षित महसूस करता है।