दिल्ली के सरकारी स्कूलों में छात्रों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहराई से समझ देने के उद्देश्य से एक नई शैक्षिक पहल शुरू की जा रही है। ‘जीवन का विज्ञान’ नामक इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को न केवल भारतीय ज्ञान प्रणाली से जोड़ा जाएगा, बल्कि उन्हें भावनात्मक रूप से भी सशक्त बनाने का प्रयास किया जाएगा। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप तैयार किया गया है और इसे छात्रों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।
भारतीय ज्ञान परंपराओं से जुड़ाव
‘जीवन का विज्ञान’ कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को प्राचीन भारतीय दर्शन, परंपराएं और ज्ञान प्रणाली जैसे पंच कोष और पंचतंत्र की जानकारी दी जाएगी। पंच कोष सिद्धांत शरीर, मन और आत्मा के पांच स्तरों की बात करता है, जो आत्म-जागरूकता और आंतरिक संतुलन को बढ़ावा देता है। वहीं, पंचतंत्र छात्रों को भारतीय आयुर्वेद और दर्शन में निहित पांच तत्वों — पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश — की भूमिका और उनके संरक्षण की आवश्यकता को समझाने में मदद करेगा।
डिजिटल डिटॉक्स और साइबर जागरूकता
आज के डिजिटल युग में स्क्रीन टाइम और ऑनलाइन गतिविधियों के प्रभाव को देखते हुए कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण भाग डिजिटल डिटॉक्स पर केंद्रित होगा। इसमें छात्रों को यह सिखाया जाएगा कि तकनीक का संतुलित उपयोग कैसे किया जाए। इसके साथ ही कॉपीराइट उल्लंघन, ऑनलाइन धोखाधड़ी और अन्य साइबर खतरों के बारे में भी जागरूकता दी जाएगी, ताकि विद्यार्थी एक जिम्मेदार डिजिटल नागरिक बन सकें।
भावनात्मक और मानसिक विकास पर बल
कार्यक्रम का एक अन्य भाग अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों के वैश्विक शैक्षिक मॉडलों से प्रेरित है। इस भाग में आत्म-जागरूकता, भावनात्मक संतुलन, मानसिक लचीलापन और समस्या सुलझाने की रणनीतियों पर ध्यान दिया जाएगा। यह खंड छात्रों को न केवल अपनी भावनाओं को समझने बल्कि उन्हें सकारात्मक रूप से प्रबंधित करने के लिए भी प्रेरित करेगा।
वास्तविक जीवन से जोड़ने की कोशिश
‘जीवन का विज्ञान’ केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित नहीं रहेगा। इसे छात्रों की रोजमर्रा की जिंदगी और सामाजिक जिम्मेदारियों से भी जोड़ा जाएगा। उदाहरण के लिए, विद्यार्थियों को यमुना सफाई अभियान जैसी पर्यावरणीय गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलेगा। इससे वे स्थायी विकास और पर्यावरणीय संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों को व्यवहार में ला सकेंगे।
समावेशी शिक्षा और लैंगिक समानता
कार्यक्रम में छात्रों को लैंगिक समानता, महिला सम्मान और सामाजिक समरसता जैसे विषयों पर भी संवेदनशील बनाया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी छात्रों को समान अवसर और सम्मान मिले। कठपुतली थिएटर, रोल प्ले, वृत्तचित्रों की स्क्रीनिंग और फील्ड विज़िट जैसे रचनात्मक तरीकों के माध्यम से यह शिक्षा और अधिक प्रभावशाली और आकर्षक बनेगी।
सत्र की संरचना
इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक कक्षा में महीने में दो बार एक घंटे का विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा। सत्र की शुरुआत संवादात्मक चर्चा से होगी, जिसमें शिक्षक और छात्र आपस में विचार साझा करेंगे। इसके बाद पांच मिनट की एक संगीतमय गतिविधि होगी, जिसमें छात्र संगीत और नृत्य के माध्यम से तनावमुक्त हो सकेंगे। अंत में योग या ध्यान के माध्यम से सत्र का समापन किया जाएगा, जिससे छात्रों को चिंतन और आत्म-केन्द्रण का अनुभव होगा।
निष्कर्ष
‘जीवन का विज्ञान’ कार्यक्रम शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रखता, बल्कि यह छात्रों को उनके समग्र व्यक्तित्व, सांस्कृतिक विरासत, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक जिम्मेदारी से जोड़ता है। यह पहल न केवल छात्रों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बनेगी, बल्कि उन्हें एक संतुलित, जागरूक और संवेदनशील नागरिक बनने की दिशा में भी प्रेरित करेगी।