भारत की ऐतिहासिक छलांग: वैश्विक आर्थिक मंच पर चौथा स्थान
भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान प्राप्त कर लिया है। अब भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी हैं। नीति आयोग के सीईओ बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम के अनुसार, यह उपलब्धि भारत के अनुकूल भू-राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों के चलते संभव हुई है।
विकास के प्रमुख कारक: भारत की आर्थिक प्रगति के पीछे की ताकतें
भारत की इस आर्थिक छलांग के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं:
मजबूत घरेलू मांग: ग्रामीण क्षेत्रों में भी उपभोग में वृद्धि देखी गई है, जिससे आर्थिक विस्तार को बल मिला है।
जनसांख्यिकीय लाभ: 1.45 अरब से अधिक की युवा आबादी ने उत्पादकता और उपभोग में वृद्धि की है।
संरचनात्मक सुधार: जीएसटी, डिजिटलाइजेशन और बुनियादी ढांचे के विकास ने आर्थिक दक्षता बढ़ाई है।
सेवा क्षेत्र का विस्तार: आईटी, वित्त और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों ने जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इन कारकों के संयोजन से भारत की अर्थव्यवस्था ने तेजी से विकास किया है।
भविष्य की दिशा: तीसरे स्थान की ओर अग्रसर
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत 2028 तक जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, जिसकी अनुमानित जीडीपी $5.58 ट्रिलियन होगी।
निष्कर्ष: भारत की आर्थिक सफलता की कहानी
भारत की यह उपलब्धि केवल आर्थिक आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती हुई भूमिका और प्रभाव का संकेत है। जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ रहा है, यह स्पष्ट है कि वह वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है।