चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में पिछले छह महीने से भी अधिक समय से चले आ रहे सैन्य गतिरोध के लंबा खिंचने के आसार देखते हुए सेना ने हाड जमा देने वाले बर्फीले दुर्गम क्षेत्रों में तैनात जवानों के रहने के लिए सभी जरूरी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस विशेष शेल्टर और स्मार्ट टैंट बनाये हैं।
इन शेल्टरों में सर्दियों की विषम और दुरूह परिस्थितियों को देखते हुए बिजली, पानी, विशेष तरह के हीटरों , स्वास्थ्य जरूरतों और साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है। अग्रिम मोर्चों पर तैनात जवानों के लिए विशेष तरह के गर्म टैंटों का इंतजाम किया गया है।
सेना के सूत्रों ने आज बताया कि लद्दाख के अत्यधिक ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में नवम्बर के बाद 40 फुट तक बर्फ गिरती है।
बर्फीली हवाओं के चलने से वहां तापमान शून्य से 30 से 40 डिग्री तक कम हो जाता है ।
कई बार बर्फबारी के कारण रास्ते भी बंद हो जाते हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए सेना ने वहां तैनात जवानों के लिए विशेष तैयारी की है और उनके वहां रहने के चाक चौबंद इंतजाम के साथ साथ उनके लिए सभी सुविधा उपलब्ध करायी है।
सेना ने वहां तैनात जांबाजों के लिए पहले से मौजूद स्मार्ट कैंपों के अलावा अब विशेष शेल्टर बनाये हैं जिनमें सभी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।
इन शेल्टरों में बिजली, पानी, हीटरों , स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के साथ साथ साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा गया है।
अग्रिम मोर्चों पर तैनात जांबाजों के लिए विशेष तरह के गर्म टैंट लगाये गये हैं।
इसके अलावा किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए भी पर्याप्त सिविल ढांचागत सुविधाओं की पहचान कर ली गयी है जो जरूरत पड़ने पर तुरंत काम आ सकती हैं।
भारत और चीन के सैन्य कमांडरों की आठ दौर की बातचीत के बाद भी गतिरोध समाप्त होने के ठोस संकेत नहीं मिले हैं जिससे गतिरोध के लंबा खिंचने के आसार हैं। इसे देखते हुए सेना ने सर्दियों में जवानों को पेश आने वाली तमाम दिक्कतों को ध्यान में रखकर सभी जरूरी कदम उठाये हैं।
दशकों बाद यह पहला मौका है जब दोनों सेनाओं ने इस क्षेत्र में अपना जमावड़ा इस हद तक बढाया है।
दोनों सेनाओं के 50-50 हजार से भी अधिक सैनिक इन क्षेत्रों में तैनात हैं। इसके अलावा दोनों ने सभी तरह के सैन्य साजो सामान ,वाहन और हथियारों का
भी जमावड़ा किया हुआ है।