मध्य काबुल स्थित गुरुद्वारे में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खोरासान (आईएसकेपी) ने ली है। हमले में सिख समुदाय के कम से कम 27 सदस्य मारे गए हैं।
सूत्रों ने कहा कि बुधवार को शोरबाजार क्षेत्र में एक आत्मघाती हमलावर ने गुरुद्वारे के प्रवेश द्वार पर खुद को उड़ा लिया और इसके बाद आईएस के अन्य तीन आतंकवादियों ने गुरुद्वारे पर हमला कर दिया। हमले के वक्त कम से कम 150 लोग मौजूद थे।
सुरक्षा बलों ने गुरुद्वारे से करीब 80 श्रद्धालुओं को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
अफगान सुरक्षाबलों ने लंबे समय तक चली गोलीबारी में सभी तीन आतंकवादियों को ढेर कर दिया और इसमें नाटो के सैनिकों ने भी मदद की।
काबुल से आई शुरुआती रपटों में अशरफ गनी सरकार ने पाकिस्तान समर्थित हक्कानी नेटवर्क पर इस हमले का आरोप लगाया था।
इसके साथ ही तालिबान ने हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है।
भारत ने भी इस आतंकी हमले की निंदा की है और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई और घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना की है।
एक आधिकारिक बयान में सरकार ने कहा, भारत, अफगास्तिान में हिंदू और सिख समुदाय के प्रभावित परिवारों को सभी संभव सहायता पहुंचाने के लिए तैयार है।
बयान के अनुसार, अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक स्थलों पर इस तरह का कायराना हमला, खासकर के कोविड-19 महामारी के समय, अपराधियों और उनके समर्थकों की शैतानी मानसिकता का परिचायक है।
भारत के आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर कहा, काबुल में गुरुद्वारा साहिब पर आत्मघाती हमले की कड़े शब्दों में निंदा किए जाने की जरूरत है। ये हत्याएं उस अत्याचार की याद दिलाती हैं, जो कुछ देशों में अल्पसंख्यकों पर जारी हैं और उनके जीवन और धार्मिक स्वतंत्रता की तत्काल रक्षा किए जाने की आवश्यकता है।