भारतीय रेलवे अब ट्रेनों में हाईरेंज वाले इनफ्रारेड नाइट विजन कैमरे लगाने जा रहा है, जो कोहरे में भी ट्रेनों को चलाने में मददगार साबित होंगे। सबसे पहले इन कैमरों का ट्रायल नार्दन रेलवे में दिल्ली से आगरा के बीच होगा। सफल होने के बाद सभी ट्रेनों में ये कैमरे लगाए जाएंगे। रेलवे ने इस प्रोजेक्ट को ‘त्रिनेत्र’ नाम दिया है। दो साल पहले रेलवे ने कोहरे को मात देने के लिए ट्रेनों में फॉग सेफ डिवाइस लगाई थीं। जिनका उपयोग कोहरा प्रभावित जोन में चलने वाली ट्रेनों में किया था। ये डिवाइसें ग्लोबल पोजिसनिंग सिस्टम (जीपीएस)से जुड़ीं थीं। इसके जरिए पायलट को आने वाले सिग्नलों की जानकारी मिलती है, लेकिन सिग्नल रेड है या ग्रीन, इसका पता नहीं चलता। यानी करोड़ों रुपए खर्च कर इस डिवाइस को लगाने का खास फायदा नहीं हुआ।अब रेलवे बोर्ड ने त्रिनेत्र के नाम से एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके तहत इंजनों के फ्रंट में इनफ्रारेड नाइट विजन कैमरे लगाए जाएंगे, जो घने कोहरे में भी 20 से 100 मीटर के दायरे तक देखने में मदद करेंगे। पायलट के पास इस कैमरे का कंट्रोल होगा। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों का तर्क है कि इस तरह के कैमरे लगाने का मतलब यह नहीं है कि ट्रेनें कोहरे में अपनी तय रफ्तार से दौड़ेंगी बल्कि ट्रेनों को कोहरे के कारण रोकने की नौबत नहीं आएगी। यानी तय रफ्तार की तुलना में कम स्पीड में ट्रेनें चलती रहेंगी। अभी दिल्ली से आगरा के बीच घने कोहरे के कारण राजधानी व शताब्दी जैसी ट्रेनों को खड़ा करना पड़ रहा है। फॉग सेफ डिवाइस को लेकर पूर्व में जानकारी दी गई थी कि ये कोहरे में काम करेगी। यानी ट्रेनों को कोहरे के दौरान भी चलाया जा सकेगा। इस बारे में रेलवे बोर्ड नई दिल्ली के प्रवक्ता अनिल सक्सेना का कहना है कि फॉग सेफ डिवाइसें कोहरे के सीजन में पायलटों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए लगाई थीं। इसकी मदद पायलटों को मिल रही है। अब इनफ्रारेड नाइट विजन कैमरे लगाए जाएंगे। बोर्ड ने इसकी स्वीकृति दे दी है। ये कैमरे कोहरे में ट्रेनें चलाने में मदद करेंगे।