भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित 6,668 नए मरीज मिलने के बाद सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 85,665 हो गई है।
वैसे कुल मिलाकर देश में 1 लाख 57 हजार 484 संक्रमित बुधवार की रात 10 बजे तक मिले हैं। इसमें उत्तरप्रदेश का अपडेट शामिल नहीं है।
देश में अब तक 4523 लोगों की मौत इस बीमारी से हो चुकी है। इस प्रकार मरने वालों की औसत संख्या 2.87% है जो दुनिया के औसत से बहुत कम है। वहीं अब तक देश में 67,285 कोरोना संक्रमित मरीज ठीक हो चुके हैं। इस प्रकार देश में रिकवरी रेट 42.72% है। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों का ठीक होना और मृत्यु दर का कम रहना भारत के लिए एक आशा जनक समाचार है।
किंतु सबसे बड़ी चिंता महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों के कारण है।
जहां कुल मिलाकर 1 लाख 5 हजार 955 कोरोना वायरस संक्रमित मरीज मिले हैं। जो देश के कुल संक्रमित मरीजों का 67.27% है। देश के महानगरों में लगभग आधे मरीज हैं। महाराष्ट्र में बुधवार को 2190 नए कोरोनावायरस संक्रमित मिलने के बाद पीड़ितों की संख्या बढ़कर 56,948 पहुंच गई। इनमें से 1,897 की मौत हो चुकी है।
इस प्रकार महाराष्ट्र में 3.26% मरीजों की मौत हो रही है जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक है। यहां 17,918 मरीज ठीक हो चुके हैं। जो कि कुल संख्या का 31.46% है। यह राष्ट्रीय औसत से लगभग 11% कम है।
तमिलनाडु में बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 817 नए मामले सामने आने के साथ पीड़ितों की संख्या बढ़कर 18,545 हो गई।
इनमें से 136 की मौत हो चुकी है। यह कुल मौतों का 0.733% है जो कि राष्ट्रीय औसत से आधे से भी कम है। तमिलनाडु में 9,909 मरीज ठीक हो चुके हैं जो कि कुल संख्या का 53.43% है जो कि राष्ट्रीय औसत से लगभग 10% ज्यादा है। इस प्रकार महाराष्ट्र, तमिलनाडु के परिदृश्य को देखें तो एकदम भिन्न नजर आता है।
किंतु गुजरात में हालात और भी खराब हैं। यहां पर बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 376 नए मामले सामने आने के साथ ही पीड़ितों की संख्या बढ़कर 15,205 हो गई। इनमें से 938 लोगों की मौत हो चुकी है। जोकि कुल पीड़ितों की संख्या का 6.16% है और राष्ट्रीय औसत से लगभग ढाई गुना ज्यादा है। गुजरात में 7,549 मरीज ठीक हो चुके हैं।
इस प्रकार यहां का रिकवरी रेट 49.64% है जो कि राष्ट्रीय औसत से लगभग 7% ज्यादा है।
कहा जा सकता है कि गुजरात में जितनी अधिक मौतें हो रही हैं, उतनी ही तेजी से मरीज ठीक भी हो रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां पर बुधवार को कोरोनावायरस संक्रमण के 792 नए मामले सामने आए और पीड़ितों की संख्या बढ़कर 15,257 हो गई। इनमें से 303 की मौत हो चुकी है।
इस प्रकार दिल्ली में कोरोना वायरस से मृत्यु दर 1.98% है जो कि राष्ट्रीय मृत्यु दर से लगभग 1% कम है। यहां पर बुधवार तक 7,264 मरीज ठीक हो चुके हैं। इस प्रकार रिकवरी रेट भी 47.61% है जो कि राष्ट्रीय औसत से लगभग 5% ज्यादा है। इस विश्लेषण से पता चलता है कि महाराष्ट्र में स्थिति हर दृष्टि से खराब है।
गुजरात में रिकवरी ज्यादा है, लेकिन मौत भी ज्यादा हो रही है। तमिलनाडु और दिल्ली में रिकवरी रेट अच्छा होने के साथ-साथ मौत भी कम हो रही है।
इसके अलावा राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है लेकिन स्थिति विस्फोटक नहीं है। आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, जम्मू कश्मीर और असम जैसे राज्यों में भी बड़ी संख्या में नए संक्रमित मिल रहे हैं।
बिहार जैसे राज्यों में प्रवासी मजदूरों के कारण संक्रमण के मामलों में तेजी आई है।
लॉक डाउन के चौथे चरण में छूट मिलने के कारण भी कोरोना वायरस का प्रसार तेजी से हुआ है। लेकिन फिर भी कहा जा सकता है कि देश के चार राज्यों को छोड़कर, जहां कोरोनावायरस संक्रमण 15,000 से ऊपर है, बाकी हिस्सों में स्थिति फिलहाल विस्फोटक नहीं है।
सक्रिय मरीजों की बड़ी संख्या अब देश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के लिए चुनौती बनती जा रही है। सरकार ने क्वॉरेंटाइन के नियम में भी बदलाव किया है। बहुत से मरीजों को घर पर ही क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है। अस्पताल केवल बुजुर्गों अथवा गंभीर मरीजों को लाया जाता है।
यह संक्रमण जून के अंतिम सप्ताह तक काफी बड़ी संख्या में फैल सकता है। उस समय मरीजों की तादाद को देखते हुए सरकार के पास व्यवस्था जुटाने और संसाधनों के समुचित उपयोग की चुनौती होगी।