पश्चिम बंगाल हिंसा
कोलकाता । पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा को लेकर विपक्ष ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधा है। उसने चुनावों के दौरान हिंसा के लिए तृणमूल सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। हिंसा के विरोध में सीपीएम सहित अन्य वाम पार्टियों ने राज्य निर्वाचन आयोग कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। वहीं सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने इसे लोकतंत्र का विनाश करार दिया। उधर, हिंसा को लेकर गृह मंत्रालय ने भी पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी है। बता दें कि वोटिंग के दौरान कई इलाकों में जमकर खूनी संघर्ष हुआ।
दोपहर साढ़े तीन बजे तक इन झड़पों में 11 लोगों की मौत हो चुकी है।
मौतों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के दौरान अलग-अलग जिलों में जारी हिंसा को लेकर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रदेश सरकार के साथ ही राज्य चुनाव आयोग को भी निशाने पर लिया। येचुरी ने दो टूक कहा कि यह और कुछ नहीं, बल्कि पूरी तरह से लोकतंत्र का विनाश है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की तरफ से राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि को समय नहीं दिया जा रहा। येचुरी ने कहा कि इस हिंसा के खिलाफ हमारा विरध जारी रहेगा।
उधर, सीपीएम कार्यकर्ताओं के साथ राज्य चुनाव आयोग कार्यालय पहुंचे वरिष्ठ नेता बिमान बोस ने भी हिंसा को लेकर तृणमूल सरकार पर निशाना साधा। बोस ने कहा, चुनाव हंगामे में बदल गया, क्योंकि किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया। पुलिस सुरक्षा मजबूत नहीं कर पाई। यही वजह है कि इस मामले में समाधान के लिए हम चुनाव आयोग के पास बात करने आए हैं। सोमवार दोपहर दो बजे तक ही राज्य निर्वाचन आयोग को 500 शिकायतें मिल चुकी थीं। नंदीग्राम में निर्दलीय उम्मीदवार के दो समर्थकों की झड़प के दौरान मौत हुई थी। पटकेलबारी इलाके में टीएमसी कार्यकर्ताओं के हमले में निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थक शाहिद शेख की जान चली गई।
वहीं, नादिया जिले के नकासीपुरा में पोलिंग बूथ से लौट रहे टीएमसी कार्यकर्ता की गोली मार कर हत्या कर दी गई। बेलदांगा में बीजेपी कार्यकर्ता तपन मंडल की हत्या कर दी गई। आमदांगा में सीपीएम के एक कार्यकर्ता की बम हमले में मौत हुई है। साउथ 24 परगना जिले में टीएमसी कार्यकर्ता आरिफ अली की गोली मार कर हत्या कर दी गई। जलपाईगुड़ी के शिकारपुर में उपद्रवियों ने बैलट बॉक्स को फूंक दिया।