National News – अलवर में भीड़ के हमले में मारे गए रकबर उर्फ अकबर के परिजनों से मंगलवार को राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने मुलाकात की।
जिसके बाद उन्होंने कहा की कहीं ना कहीं कोई खामी रही है। अगर कोशिश की जाती तो उसे (रकबर) को बचाया जा सकता था। पुलिस ने गोशाला जाने में अपना वक्त बर्बाद किया। जबकि घायल को अस्पताल ले जाना चाहिए था। अगर समय पर घायल को अस्पताल ले जाया होता तो उसकी जान बच सकती थी। पुलिस का कर्तव्य पहले गायों को गोशाला में भेजना नहीं है।
उन्होने कहा की मैंने पीड़ित के परिजनों से मुलाकात की। जो सबूत सामने आए हैं, उससे लगता है कि मौत हिरासत में हुई है। पीड़ित परिवार अभी तक की गई कार्रवाई से संतुष्ट हैं। अगर उन्हें कुछ बताना है तो कभी भी मेरे पास आ सकते हैं।”
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हुआ साफ़
मंगलवार को करीब 4 दिन के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई। जिसमें बताया गया की उसकी मौत सदमे और शरीर पर आई चोटों के कारण हुई। उस पर हथियार से हमला किया गया। वहीं दूसरी तरफ राजस्थान के स्पेशल डीजी (कानून-व्यवस्था) एनआरके रेड्डी ने भी सोमवार को कहा था, “प्रथमदृष्टया इस मामले में पुलिस टीम के निर्णय में चूक सामने आई है। जो हुआ वह टाला जा सकता था।”
रकबर पर गोतस्करी का था शक
गोतस्करी के शक में पीट-पीटकर रकबर की हत्या कर दी गई थी। उसके साथी असलम का दावा है कि भीड़ में से कुछ लोग कह रहे थे कि विधायक हमारे साथ हैं। वहीं रामगढ़ में चाय बेचने वाले एक प्रत्यक्षदर्शी ने सोमवार को दावा किया था कि घटना के बाद पुलिस तड़के करीब सवा तीन बजे उसकी दुकान पर रुकी थी। जीप में एक युवक को ले जा रहे थे। उसने देखा था कि पुलिसवाले युवक को पीट रहे थे। इसके साथ ही पुलिसवालों ने वहां चाय भी पी। बता दे की पुलिस पर आरोप हैं की रकबर को सही वक़्त पर अस्पताल नहीं पंहुचाया गया। इधर विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने कहा है कि अकबर की पिटाई करने वाले गांव के लोग थे। अगर वह गोतस्कर नहीं था, तो रात में क्यों जा रहा था। इस तरह चोरों की तरह जाने की क्या जरूरत थी। गांव की जनता ने उसे इतना नहीं मारा की मौत हो जाए। मौत पुलिस कस्टडी में हुई।