देश में पहली बार सक्रिय रेलवे ट्रैक के बीच सोलर पैनल को स्थापित कर एक नई पहल की शुरूआत की गई है। बताया जा रहा है कि रेलवे की यह पहल स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जो हर दिन लगभग 67 यूनिट बिजली उत्पादन करने में सक्षम है। बता दें कि इस सोलर पैनल का उद्घाटन स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने फीता काटकर किया।
रेलवे की इस परियोजना के तहत 70 मीटर लंबी लाइन पर 15 किलोवाट पीक क्षमता वाला सोलर पैनल लगा है, जिसका नंबर 28 है। इसके पैनलों को एपॉक्सी एडहेसिव से कंक्रीट स्लीपर पर अच्छे तरह से चिपकाया गया है, जिससे यह मुश्किल समय में भी अच्छे से काम कर सके। वही, इसकी धातु और कंक्रीट के बीच मजबूत बंधन सुनिश्चित है।
भारत का पहला सोलर पैनल सिस्टम
भारतीय रेलवे (Indian Railways) नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन शमन की दिशा में तेजी के साथ अपने कदम आगे बढ़ा रहा है। इसी क्रम में बरेका ने भारत का पहला सोलर पैनल सिस्टम सीधे रेलवे ट्रैक के बीच में ही स्थापित कर सबको हैरान कर दिया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह परियोजना सौर ऊर्जा की भविष्य में भारतीय रेलवे के लिए हरित ऊर्जा का मजबूत मॉडल में काफी मददगार साबित हो सकती है। इस परियोजना कार्य की महाप्रबंधक ने मुख्य विद्युत सर्विस इंजीनियर भारद्वाज चौधरी और उनकी टीम की मेहनत की भी सराहना की है।
पटरियों के बीच सोलर पैनल
रेलवे के इस पायलट प्रोजेक्ट में पटरियों के बीच लगाए गए इन सोलर पैनलों को स्वदेशी डिज़ाइन के साथ तैयार किया गया है। इन पैनलों के कारण ट्रेन यातायात पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ेगा। बल्कि जरूरत पड़ने पर पैनलों को आसानी से हटाया भी जा सकता है।
इसके अलावा, इन पैनलों को धूल और मलबे से सुरक्षित रखने के लिए इसमें आसान सफाई की भी व्यवस्था है।
कंपन को कम करने के लिए रबर माउंटिंग पैड का इस्तेमाल
पटरियों पर से ट्रेन के गुजरने से कंपन को कम करने के लिए रबर माउंटिंग पैड का इस्तेमाल उपयोग किया गया है। इसमें पटरियों के बीच में 4 एसएस एलन बोल्ट के माध्यम से पैनलों को तुंरत भी हटाया जा सकता है।
बरेका में पहले से स्थापित रूफटॉप सोलर पावर प्लांट्स के साथ मिलकर यह नया सिस्टम हरित ऊर्जा उत्पादन को और भी अधिक रफ्तार से आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
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