इन सैटेलाइट्स की मदद से सिर्फ जमीन पर ही नहीं, बल्कि हिंद महासागर और सीमाई इलाकों में भी दुश्मन की हर हलचल पर निगरानी रखी जाएगी। साथ ही भारत अपनी स्पेस डिफेंस डॉक्ट्रिन यानी अंतरिक्ष में लड़ाई के नियम भी मजबूत कर रहा है।
कब लॉन्च होंगे ये सैटेलाइट ?

इनमें से पहला सैटेलाइट अप्रैल 2026 तक लॉन्च कर दिया जाएगा और 2029 तक सभी 52 सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर दिए जाएंगे। यह काम डिफेंस स्पेस एजेंसी (DSA) की देखरेख में किया जा रहा है।
कौन बनाएगा सैटेलाइट ?

इस प्रोजेक्ट में ISRO 21 सैटेलाइट बनाएगा और बाकी 31 सैटेलाइट तीन प्राइवेट कंपनियां तैयार करेंगी। इन्हें तेजी से तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि भारत अपनी सुरक्षा में किसी भी तरह की देरी न करे।
किन-किन जगहों पर रहेगी नजर ?

इन सैटेलाइट्स की मदद से
- चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर
- हिंद महासागर के इलाके में
- और अन्य सामरिक जगहों पर
24×7 निगरानी रखी जाएगी। ये सैटेलाइट बहुत तेजी से तस्वीरें खींच सकेंगे और उनकी क्वालिटी भी बेहतरीन होगी।
डॉगफाइटिंग और किल मेश तकनीक से मुकाबला

चीन लगातार अपने स्पेस प्रोग्राम को आगे बढ़ा रहा है। वहां के सैटेलाइट हाल ही में डॉगफाइटिंग युद्धाभ्यास कर चुके हैं, जिसमें सैटेलाइट एक-दूसरे का पीछा करते हैं। इसके अलावा चीन ने किल मेश जैसी तकनीक भी तैयार की है, जिससे दुश्मन के सैटेलाइट को ट्रैक कर निष्क्रिय किया जा सके। ऐसे में भारत भी अपनी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।
भारत की नई तैयारी — HAPS सिस्टम
इसके अलावा भारतीय वायुसेना भी तीन हाई-एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम (HAPS) खरीदने की योजना बना रही है। ये ड्रोन की तरह होते हैं, जो बहुत ऊंचाई पर उड़कर निगरानी का काम करते हैं और इन्हें स्यूडो-सैटेलाइट भी कहा जाता है।
सिचुएशनल अवेयरनेस का होगा मजबूत सिस्टम
भारतीय डिफेंस सिस्टम अब ऐसे इंतजाम कर रहा है कि किसी भी खतरे को पहले ही पहचानकर, समझकर और तुरंत जवाब दिया जा सके। इसे OODA लूप कहा जाता है।