पुराने प्रकरणों के फरारों ही नहीं हो रहे गिरफ्तार
कोरोना वायरस के संक्रमण से बाकी सभी लोग भले ही परेशान हो लेकिन भू माफियाओं के लिए यह स्थिति वरदान साबित हुई है। पुलिस व प्रशासन के कोरोना इंतजाम में व्यस्त रहने के कारण इन तत्वों के खिलाफ चल रही मुहीम दफन हो गई है। जिन केसों मेें एफआईआर दर्ज हो चुकी है, उसके फरार भू माफियाओं तक को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है।
कमलनाथ सरकार ( Kamal Nath government) के दौरान प्रदेश सहित शहर में यह मुहीम चलाई गई थी। इसमें बाबी छाबड़ा सहित अन्य कई भू माफियाओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, तमाम हाउसिंग सोसायटियों के रेकार्ड जब्त कर मुकदमें कायम किए गए थे। कमलनाथ की बजाय शिवराज की भाजपा सरकार ( shivraj chohan government ) आने के बाद ही परिस्थतियां बदली और पुलिस व प्रशासन के प्रमुख अफसर भी बदल दिए गए।
इसके अलावा कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर किए जा रहे लॉक डाउन व कफ्र्यू का पालन कराने व अन्य व्सस्तताओं के चलते भू माफियाओं के खिलाफ मुहीम लगभग दफन हो गई है। जिन दो हजार सदस्यों को भूखंड दिलाने की बात कही जा रही थी, वह बात भी ठंडे बस्ते में चली गई। इसके अलावा चंपू, चिराग, हैप्पी, निखिल जैसे कई भू माफिया फरार चल रहे है जिनकी गिरफ्तारी पर तीस तीस हजार का ईनाम भी है, लेकिन इन्हें गिरपु्तार करने की कोशिशें भी थम सी गई है।
उपायुक्त क्षत्री भी नहीं मिल रहा
इसी तरह पुलिस ने सहकारिता विभाग की एक महिला अफसर के साथ यौन प्रताडऩा के आरोप में सहकारिता उपायुक्त राजेश क्षत्री के विरुद्ध मामला दर्ज किया था। लगभग दो माह से अधिक समय बाद भी उसे पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है। उसे पूर्व की सरकार द्वारा सस्पेंड भी किया जा चुका है।