भोपाल में अब एक और पुल सुरक्षा को लेकर चर्चा में है। सुभाष नगर रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी), जिसे उसके सर्पीले डिजाइन के कारण ‘सांप जैसा पुल’ कहा जा रहा है, अब जांच के घेरे में है। मात्र 8 घंटे के अंदर हुई दो दुर्घटनाओं ने इस पुल के डिजाइन पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह पुल दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहा है?
“सांप की तरह मुड़ता पुल” – ड्राइवरों के लिए चुनौती
इस पुल की सबसे बड़ी समस्या है इसका अजीबोगरीब डिजाइन। ड्राइवर्स को कुछ ही सेकंड्स में चार तीखे मोड़ लेने पड़ते हैं—दाएं, बाएं, दाएं, फिर बाएं! यह किसी रोलर कोस्टर की सवारी जैसा अनुभव देता है, लेकिन यहां गलती की कोई गुंजाइश नहीं।
खतरनाक डिवाइडर: अचानक सामने आ जाता है दीवार!
- मैदा मिल की ओर उतरते समय अचानक एक डिवाइडर सामने आ जाता है, जिसे देख पाना मुश्किल होता है।
- रात के समय या तेज रफ्तार में यह और भी खतरनाक हो जाता है।
- डिवाइडर की ऊंचाई कम होने के कारण कई बार ड्राइवर्स इसे देख ही नहीं पाते।

ट्रैफिक सिग्नल का खेल: “कब आएगा हरा?”
- जिंसी चौक से गुजरने वाले वाहनों को ट्रैफिक सिग्नल पर भरोसा करना पड़ता है, लेकिन यहां का सिग्नल अक्सर खराब रहता है, जिससे टकराव का खतरा बढ़ जाता है।
विशेषज्ञ बोले – “यह डिजाइन खतरनाक है!”
स्ट्रक्चरल इंजीनियर प्रखर पगारिया का कहना है कि “सर्पीले पुल स्वाभाविक रूप से जोखिम भरे होते हैं। जब तक कोई विकल्प न हो, ऐसे डिजाइन से बचना चाहिए।”
40 करोड़ का पुल, लेकिन सुरक्षा पर सवाल?
- यह पुल 2 साल पहले बना था और 40 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ था।
- इसका मकसद था मैदा मिल और प्रभात पेट्रोल पंप के बीच यातायात को सुगम बनाना।
- लेकिन हाल की दुर्घटनाओं ने इसकी डिजाइनल खामियों को उजागर कर दिया है।
क्या हुआ था हादसों में?
- एक कार डिवाइडर से टकराकर हवा में पलट गई।
- दूसरे मामले में एक स्कूल वैन को भारी नुकसान हुआ।
- अभी तक जानलेवा हादसा नहीं हुआ, लेकिन खतरा बरकरार है।
क्या अब सरकार कोई कार्रवाई करेगी?
ऐशबाग के 90 डिग्री वाले फ्लाईओवर के बाद अब यह पुल भी जांच के दायरे में है। क्या सरकार इसके डिजाइन को दोबारा चेक करेगी? क्या डिवाइडर और सिग्नल सिस्टम में सुधार होगा? या फिर एक बड़ी त्रासदी का इंतजार करना पड़ेगा?