देश की सबसे बड़ी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है।
करीब ढाई साल से ये पद खाली है, लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि इस महीने नए अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है।
खास बात यह है कि इस बार पार्टी किसी महिला नेता को अपनी कमान सौंप सकती है। और सबसे ज्यादा चर्चा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम की हो रही है।

क्यों बनीं हैं निर्मला सीतारमण इस चर्चा का केंद्र?
निर्मला सीतारमण न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भरोसेमंद साथी हैं, बल्कि वे दक्षिण भारत से भी आती हैं।
वे कई भाषाओं में पारंगत हैं और पढ़ाई-लिखाई में भी बेहद मजबूत हैं।
बीजेपी में उनका अनुभव और पकड़ काफी मजबूत है।
उनकी दक्षिण भारतीय पहचान पार्टी को देश के उस क्षेत्र में विस्तार का मौका दे सकती है, जहां बीजेपी का ग्रासरूट अब तक कमजोर रहा है।

बीजेपी में बदलाव की आहट
पिछले 11 साल से केंद्र में सत्ता में काबिज बीजेपी इस बार बड़ा बदलाव लाने जा रही है।
दिल्ली में हाल के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने पहली बार महिला मुख्यमंत्री चुनी है।
इसी ‘महिला फैक्टर’ को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय अध्यक्ष पद भी किसी महिला को दिया जा सकता है।
महिलाओं पर पार्टी का खास फोकस
बीजेपी ने हमेशा महिलाओं के मुद्दों को प्राथमिकता दी है।
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान और महिला आरक्षण बिल जैसे कदम उठाए हैं।
इसी वजह से अब पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी महिला को सौंपकर एक नया संदेश देना चाहती है।
निर्मला सीतारमण का राजनीतिक सफर
जेएनयू से अर्थशास्त्र में एमफिल करने वाली निर्मला ने 2008 में बीजेपी जॉइन की।
2010 में उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया, जहां उन्होंने अपनी वक्तृत्व क्षमता से सबका ध्यान खींचा।
2014 में मोदी सरकार में शामिल होकर उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली।
मोदी सरकार में उनकी अहम भूमिका
2014 से 2017 तक वे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रहीं। सितंबर 2017 में वे भारत की पहली महिला रक्षा मंत्री बनीं और सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया।
2019 में वे वित्त मंत्री बनीं और देश के सबसे अहम विभाग की जिम्मेदारी संभाली।
निष्कर्ष
बीजेपी इस बार अपनी कमान किसी महिला नेता को सौंपने के करीब है और निर्मला सीतारमण इस दौड़ में सबसे आगे हैं।
उनके अध्यक्ष बनने से पार्टी को दक्षिण भारत में और मजबूती मिलेगी और महिलाओं को भी राजनीतिक सत्ता में नई पहचान मिलेगी।