राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिली हार बारीकी से देखी जाए तो पता चलता है कि कैसे एक-एक वोट की मत सरकार की नियति तय करती है। राजस्थान में भाजपा को 38.8 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को महज 0.5 फीसदी ज्यादा 39.3 फीसदी वोट मिले। संख्या के हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस को भाजपा से करीब 1.70 लाख वोट ज्यादा मिले हैं। जबकि, नोटा (नन ऑफ दि अबव) के खाते में 1.3 फीसदी वोट गए हैं, जिसकी वजह से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथ से राज्य की कमान चली गई।
राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आनंद कुमार ने बताया कि 4,67,781 लाख वोट नोटा में पड़े थे।
भाजपा को जहां 38.8 फीसदी वोट मिले वहीं कांग्रेस को महज 0.5 फीसदी ज्यादा 39.3 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस को भाजपा से करीब 1.70 लाख वोट ज्यादा मिले। वहीं, इस बार नोटा को गए वोटों से पता चलता है कि भाजपा ने कांग्रेस के हाथ 5.6 फीसदी वोट शेयर तो गंवाया, लेकिन 1.65 फीसदी का नुकसान नोटा की वजह से भी हुआ। नोटा को सरकार से नाराजगी के रूप में देखा जाता है।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान में टक्कर कितनी कांटे की थी। भाजपा को 2013 में 46.05 फीसदी वोट और 200 में से 163 सीटें मिली थीं।
इस बार पार्टी के वोट शेयर में 7.25 फीसदी की गिरावट देखने को मिली जबकि 73 सीटों का नुकसान हुआ। कांग्रेस ने 2013 में 33.71 फीसदी वोट और 21 सीटें अपने नाम की थीं। निर्दलीयों को 9.5 फीसदी वोट (33,72,206) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को चार फीसदी (14,10,995) मत मिले। आंकड़ों से पता चलता है कि निर्दलीयों और बीएसपी ने कांग्रेस और भाजपा का खेल बिगाड़ने का काम किया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 0.2 फीसदी वोट मिले और इतने ही वोट समाजवादी पार्टी को भी मिले।