डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर की खास बातें
AI टेक्नोलॉजी और डिजिटल टूल्स से पढ़ाई मजेदार और आसान होगी।
छात्र किताबों के साथ-साथ आधुनिक तरीकों से भी पढ़ पाएंगे।
बोर्ड की गवर्निंग बॉडी और फाइनेंस कमिटी ने प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
https://www.cbse.gov.in/ — केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की मुख्य वेबसाइट, जहाँ से बोर्ड से संबंधित नवीनतम घोषणाएं, सर्कुलर्स, और अन्य आधिकारिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
ऑन-स्क्रीन आंसर कॉपी चेकिंग
CBSE अब 10वीं और 12वीं बोर्ड की कॉपियां डिजिटल तरीके से चेक करेगा।
इसके फायदे:
समय की बचत
गलतियों में कमी
मूल्यांकन में सटीकता
पारदर्शिता बढ़ेगी
डिजिटल मूल्यांकन कैसे होगा?
आंसर शीट्स को स्कैन किया जाएगा।
परीक्षकों को कॉपियां कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाई जाएंगी।
पहले 2014 और 2015 में कुछ रीजनल ऑफिस में यह सिस्टम ट्रायल पर इस्तेमाल हुआ था।
पायलट प्रोजेक्ट और बजट
CBSE इस डिजिटल पहल को सभी विषयों में लागू करने से पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करेगा। पायलट के तहत कुछ चुनिंदा विषयों और क्षेत्रों में इस तकनीक को टेस्ट किया जाएगा ताकि इसकी प्रभावशीलता और उपयोगिता का आकलन किया जा सके। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत करीब ₹28 करोड़ है, जिसे चरणबद्ध तरीके से खर्च किया जाएगा।
ओपन बुक एग्जाम भी आने वाला
CBSE अगले साल से क्लास 9 के लिए ओपन बुक असेसमेंट लाने जा रहा है।
छात्र किताब/स्टडी मटीरियल खोलकर एग्जाम दे पाएंगे।
यह कदम नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत है ताकि रटने की बजाय समझ पर जोर दिया जाए।
फीस में बढ़ोतरी
बोर्ड क्लासों के लिए फीस 6.66% बढ़ाई गई है।
विदेश के स्कूलों में यह 10% बढ़ी है।
भारत में 5 थ्योरी सब्जेक्ट के लिए अब ₹1600 फीस होगी।
CBSE का यह कदम भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। AI-बेस्ड डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर और ऑन-स्क्रीन कॉपी चेकिंग जैसे प्रयास न केवल समय बचाएंगे, बल्कि पारदर्शिता और सटीकता भी बढ़ाएंगे। साथ ही, यह छात्रों को 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक स्किल्स विकसित करने में मदद करेगा। अगर यह पहल सफल होती है, तो आने वाले वर्षों में भारत में पढ़ाई का तरीका पूरी तरह बदल सकता है।