मध्यप्रदेश (MP news) में विधानसभा के उपचुनाव से पहले सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल कांग्रेस के तेवर आक्रामक हो चले हैं। दोनों ही दल विकास को लेकर एक दूसरे पर तीखे हमले बोलने लगे हैं।
राज्य में होने वाले उप-चुनाव 15 साल बनाम 15 माह पर आकर सिमटने लगे हैं।
भाजपा ने कांग्रेस के 15 माह के शासनकाल को राज्य को गर्त में धकेलने वाला करार दिया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan)हो या पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, कांग्रेस के शासनकाल को भ्रष्टाचार और तबादला उद्योग का काल बता रहे हैं। साथ ही आरोप लगा रहे हैं कि राज्य में तमाम विकास कार्यों को रोक दिया गया था।
मुख्यमंत्री चौहान ने तो छतरपुर में कमल नाथ(Kamal Nath in Chhatarpur) की सरकार पर विकास कायरे की अनदेखी का आरेाप लगाया।
उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने वर्ष 2018 में छतरपुर में मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति देते हुए इसे खोलने की प्रक्रिया शुरु की थी, मगर कमल नाथ और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh)ने सांठगांठ कर निरस्त कर दिया था। छतरपुर के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा, अब जल्दी ही मेडिकल कॉलेज निर्माण कार्य शुरु होगा।
चौहान का कहना है कि प्रदेश में जब कमल नाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी, तो प्रदेश के लोगों को उम्मीद थी कि यह सरकार गरीबों के लिए काम करेगी, किसानों के हित में काम करेगी, प्रदेश का विकास करेगी। लेकिन उस सरकार ने सभी को धोखा दिया।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने भी पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ पर तंज सका और कहा कि वे बताएं कि उन्होंने छिंदवाड़ा को छोड़कर प्रदेश के किस हिस्से की चिंता की। पन्ना में कृषि महाविद्यालय खोला जाना था, तीन सौ करोड़ का बजट था, उसे भी छिंदवाड़ा ले गए।
उधर, कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री सुभाष सोजतिया का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में घोषणावीर और बयानवीर नेता के तौर पर पहचान बना चुके हैं। वहीं, कमलनाथ ने 15 माह में प्रदेश की तस्वीर बदलने की कोशिश की। विकास कार्यों में तेजी आई, वहीं हर वर्ग के कल्याण के कार्यक्रम शुरू किए गए। यह बात अलग है कि उन्होंने प्रचार पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। वास्तव में विकास किसने किया यह तो उप-चुनाव में जनता जवाब देगी।
राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है
कि उप-चुनाव जीतना दोनों दलों का लक्ष्य है, यही कारण है कि खुद को विकास का मसीहा बता रहे हैं। उप-चुनाव करीब है, दावे तो किए ही जाएंगे, वास्तव में विकास कितना हुआ और किसका हुआ, यह तो मतदाता जानता है। नेताओं को उनके दावों का जवाब भी मतदाता दें, ऐसा संभव भी है।