मप्र में कोरोना से मरने वाले ज्यादातर मरीजों को कोई बीमारी नहीं थी।
कोरोना से मरने वाले 41 फीसदी ऐसे मरीज भी शामिल थे जिन्हें दूसरी कोई बीमारी नहीं थी। इसके बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। देश भर के आंकड़ों की बात करें तो 8 मई तक कोरोना से मरने वाले 1886 लोगों में 70 फीसदी को दूसरी बीमारियां भी थीं। यानी सिर्फ 30 फीसदी ऐसे लोगों की मौत हुई जिन्हें दूसरी बीमारियां नहीं थीं।
कोरोना से मरने वालों में 32 फीसदी ऐसे थे, जिन्हें डायबिटीज और हाइपरटेंशन दोनों था। 11 फीसदी सिर्फ डायबिटीज (Diabetes and Hypertension )वाले थे। बाकी हृदय रोग, अस्थमा, किडनी, शराब का नशा करने वाले थे। मप्र के मृतकों में कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों का प्रतिशत- डायबिटीज व हाइपरटेंशन – 20, डायबिटीज- 11, हृदय रोग- 7, अस्थमा व सीओपीडी – 6, निमोनिया- 6, टीबी व कैंसर- 4, मोटोपा- 2, किडनी की बीमारी- 1, एल्कोहलिज्म- 1, अन्य -1 फीसदी लोग शामिल है।
इस बारे में हमीदिया अस्पताल, भोपाल पल्मोनरी मेडिसिन के एचओडी डॉ. लोकेन्द्र दवे का कहना है कि डेथ एनालिसिस रिपोर्ट मैने देखी नहीं है। हां, यह जरूर है कि जिन लोगों को दूसरी बीमारियां नहीं होती उनका घूमना-फिरना ज्यादा होता है। ज्यादा लोगों संपर्क में आने की वजह से उनमें वायरल लोड ज्यादा होता है।
ऐसे लोग अस्पताल पहुंचने में भी देरी करते हैं या बीमारी को छुपाने की कोशिश करते हैं। यह सोचना भी गलत है जिन्हें दूसरी बीमारियां हैं उनकी हालत बिगड़ना तय है। दूसरी बीमारियों को नियंत्रित रखकर कोरोना को हरा सकते हैं।