13 साल में 30 हजार से अधिक हत्याएं और ४६ हजार से अधिक बलात्कार की घटनाएं : पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री सिंह की पत्रकारों से चर्चा
पूर्व केंद्रीय पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री, प्रवक्ता और झारखंड के अ.भा. कांग्रेस कमेटी के इंचार्ज आर.पी.एन. सिंह ने यहां कहा कि देश की सांस्कृतिक राजधानी मध्यप्रदेश भाजपा के राज में अपराधियों का गढ़ बन गया है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मामा के तरेह साल के राज में म.प्र. में ३० हजार से अधिक हत्याएं और ४६ हजार से अधिक बलात्कार की घटनाएं हुई हैं। यहां प्रतिदिन ३ किसान आत्महत्याएं करते हैं। दो साल में बेरोजगारी की दर ५० प्रतिशत बढ़ी है। इधर निजी संस्था टाटा स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट की रिपोर्ट के अनुसार कामकाजी महिलाओं के लिए सर्वाधिक असुरक्षित है मध्यप्रदेश।
सिंह यहां पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। आपने कहा कि २४ अप्रैल २०१८ को नीति आयोग के सीईओ अमिताभकांत ने कहा कि भारत इसलिए पीछे है क्योंकि यहां मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य है। आपने कहा कि शिवराजसिंह चौहान ने मुखौटा तो मामा सकार का लगा रखा है मग यहां शासन भ्रष्टाचारियों, महामारियों, अपराधियों, व्यभिचारियों, जमाखोरों और कमीशनखोरों का है।
ऐसा कोई अपराध नहीं बचा है जो शिवराज सरकार के सान्निध्य में मध्यप्रदेश में न हुआ हो।
व्यापमं में एक करोड़ युवाओं के भविष्य को बेच दिया गया और ५० लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। हजारों करोड़ का ई-टेंडर घोटाला हुआ। हजारों करोड़ के रेत का अवैध उत्खनन अबाध रूप से मामा के आशीर्वाद से चल रहा है। म.प्र. में अपराध की यह परिस्थितियां निर्मित हो गई हैं कि शाम ६ बजे बाद बेटियों ने घर से निकलना बंद कर दिया है। मासूमों को अगवा कर बलात्कार किया जा रहा है उन्हें पत्थरों से कुचला जा रहा है।
मध्यप्रदेश देश का ऐसा दूसरे नंबर का राज्य है जहां ह्यूमन बॉडी क्राईम उत्तरप्रदेश के बाद सर्वाधिक ९.२ फीसदी होते हैं। म.प्र. मामा राज में लगातार बलात्कार में नंबर वन रहा है। मामा सरकार के आने के बाद बलात्कार की घटनाओं में ७० प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
महिलाओं के अपहरण की घटना जब मामाजी आए थे तो २००४ में ५८४ अपहरण महिलाओं के होते थे, वह २०१६ में ४९९४ होने लगे अर्थात ७५५ प्रतिशत बढ़ गए और नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार २००४ में ७१० होते थे आज मामा राज में वह २४७९ प्रतिवर्ष होने लगे अर्थात २५९ प्रतिशत बढ़ गए। अपहरण के मामले में भी मध्यप्रदेश देश के तीन पहले राज्यों में आता है।
संज्ञान योग्य बाल अपराध में प्रदेश देश के पहले तीन राज्यों में है। इसी प्रकार म.प्र. आदिवासी भाईयों पर होने वाले अपराध में भी पूरे हिंदुस्तान में पहले नंबर पर है तथा सीनियर सिटीजन के खिलाफ होने वाले अपराधों में भी मध्यप्रदेश महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर है। चौकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया है कि म.प्र. में एक साल में ५९६६० लोग लापता हुए हैं जिसमें से ३९३७५ महिलाएं हैं। इसी प्रकार म.प्र. में एक वर्ष में १२०६८ बच्चे भी लापता हुए हैं, जिसमें से ८६२२ नाबालिग बच्चियां है। बाल अपराधों में भी म.प्र. पहले तीन राज्यों में है।