दिव्या देशमुख ने सिर्फ 7 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया था। तभी से उन्होंने कई बड़ी जीत हासिल कीं। अब 19 साल की उम्र में उन्होंने फिडे विमेंस वर्ल्ड कप जीतकर भारत का नाम रोशन कर दिया।
कोनेरू हंपी को दी चुनौती
फाइनल में दिव्या का मुकाबला अनुभवी खिलाड़ी कोनेरू हंपी से हुआ। हालांकि शुरुआती दो बाजियां ड्रॉ रहीं, लेकिन टाईब्रेकर में दिव्या ने शानदार चालें चलकर बाजी अपने नाम की।
FIDE (International Chess Federation)
https://www.fide.com
(FIDE Women’s World Cup और ग्रैंडमास्टर रैंकिंग्स की ऑफिशियल वेबसाइट)
ग्रैंडमास्टर बनने वाली चौथी भारतीय महिला
इस जीत से वह भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बन गईं। इसके अलावा उन्होंने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालिफाई कर लिया है, जो वर्ल्ड चैंपियनशिप का अगला चरण होगा।
भारत का चेस युग
इसी तरह डी गुकेश, कोनेरू हंपी और अब दिव्या की उपलब्धियों ने भारत को शतरंज की दुनिया में नई पहचान दी है। यह भारतीय शतरंज का स्वर्णिम दौर है।