International Recognition: यूरोप के चार बड़े देशों जैसे ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने रविवार को फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में दर्जा दिया। इस कदम से इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बेहद नाराज हैं। उन्होंने इसे आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला बताया। सोमवार को फ्रांस और सऊदी अरब की अगुवाई में संयुक्त राष्ट्र का एक सम्मेलन होने जा रहा है, जिसमें फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, एंडोरा, माल्टा और सैन मैरीनो भी फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा कर सकते हैं।
ब्रिटेन से हुआ सिलसिला शुरू
दरअसल, गाजा में इजरायल के सैन्य अभियानों के बीच यह फैसला आया है, जिसमे की 68,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और लाखों लोग बेघर हो गए हैं। गाजा में अकाल की स्थिति है और मानवीय संकट बढ़ता जा रहा है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री यवेट कूपर का कहना है, “फिलिस्तीन को मान्यता देना शांति की दिशा में बहुत ही जरूरी कदम है।” कनाडा ने इसे नैतिक निर्णय बताया, जबकि पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया ने भी ठोस कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया।
दबाव में है अमेरिका
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से तीन-चौथाई देश पहले ही फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं। अब फ्रांस की मान्यता के बाद अमेरिका एक ऐसा अकेला स्थायी सदस्य होगा, जिसने यह कदम नहीं उठाया। नेतन्याहू ने इन फैसलों की कड़ी निंदा की और कहा, “फिलिस्तीन को मान्यता देना आतंकवाद को बढ़ावा देना है।” उन्होंने चेतावनी दी कि विवादित क्षेत्रों में इजरायल का नियंत्रण बना रहेगा। यह कदम मध्य पूर्व की राजनीति में नए तनाव को भी जन्म दे सकता है।
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