नई दिल्ली: आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने एक ब्रिटिश ग्लोबल सीईओ की विवादास्पद टिप्पणी को सामने रखकर सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। गोयनका के अनुसार, उस ब्रिटिश सीईओ ने भारतीय पेशेवरों को सिर्फ “काम करने वाले हाथ-पैर” बताया और कहा कि उन्हें भारतीयों के “दिमाग” की जरूरत नहीं है। यह बयान सामने आते ही कॉर्पोरेट जगत और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं।
ब्रिटेन में दिमाग, भारत में हाथ-पैर”: ब्रिटिश सीईओ का विवादित बयान
गोयनका ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, एक ग्लोबल सीईओ ने मुझसे कहा, ‘मैं अपने भारतीय सीईओ को सिर्फ एक काम करने वाला बनाना चाहता हूँ—उसके हाथ-पैर अच्छे होने चाहिए, दिमाग की जरूरत नहीं। दिमाग का काम तो ब्रिटेन में होगा।
गोयनका ने इस टिप्पणी को “औपनिवेशिक मानसिकता” का उदाहरण बताया और कहा कि ऐसी सोच के कारण ही आज भारतीय प्रोफेशनल्स विदेशी कंपनियों के बजाय भारतीय कंपनियों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, यही वजह है कि अब लोग उन कंपनियों में काम करना चाहते हैं जहाँ उनकी बुद्धिमत्ता को महत्व दिया जाए, न कि सिर्फ उनके शारीरिक श्रम को।
सोशल मीडिया पर तूफान: “यह गुलामी की मानसिकता है
गोयनका के इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं।
कई लोगों ने इसे “औपनिवेशिक सोच” बताया, जबकि कुछ ने कहा कि इसी वजह से भारतीय टैलेंट अब TCS, इंफोसिस और अन्य स्वदेशी कंपनियों की ओर रुख कर रहा है।
एक यूजर ने लिखा, “तो यह सच है—आज भी गोरे लोग भारतीयों को दोयम दर्जे का समझते हैं।
यही सोच भारतीय कंपनियों को आगे बढ़ा रही है।
बेनहांस फॉर्मा के एमडी एलिया जयराज ने मजाकिया अंदाज में कहा, अगर भारतीय टीम को सिर्फ ‘हाथ-पैर’ बनाना है, तो यह ऐसा ही है जैसे विराट कोहली को सिर्फ गेंद उठाने के लिए रख लिया जाए!
एक अन्य यूजर ने लिखा, आज की दुनिया में लीडरशिप का मतलब यह नहीं कि आप सोचने का काम किसी और पर छोड़ दें।
असली नेतृत्व वह है जो हर स्तर पर बुद्धिमत्ता को बढ़ावा दे।
विदेशी कंपनियों में भारतीयों के साथ भेदभाव?
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय पेशेवरों के साथ विदेशी कंपनियों में भेदभाव की बात सामने आई है।
पिछले कुछ वर्षों में Google, Microsoft और अन्य MNCs में भारतीय कर्मचारियों
को “ग्लास सीलिंग” (ऊपर तक बढ़ने में रुकावट) का सामना करने की खबरें आई हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल 10% वैश्विक कंपनियों में भारतीयों को टॉप मैनेजमेंट पदों पर देखा जाता है।
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