सोमवार की वो काली रात हिमाचलवासियों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं थी। आसमान से नहीं, मानो मौत बरस रही थी। एक ही रात में प्रदेश के 17 स्थानों पर बादल फटे, जिन्होंने मंडी, कुल्लू और किन्नौर को तबाही के मुहाने पर ला खड़ा किया। अब तक 18 लोगों की जान जा चुकी है, 34 लापता हैं, और 332 को रेस्क्यू करने में सफलता मिली है।
मंडी: जहाँ प्रकृति ने सबसे ज्यादा कहर ढाया
मंडी जिला इस आपदा का सबसे बड़ा शिकार बना। यहाँ 16 लोगों की मौत हुई, 24 घर और 12 गोशालाएं मिट्टी में मिल गईं। थुनाग उपमंडल के कुकलाह में बादल फटने से आई बाढ़ ने 8 घरों को बहा दिया, जिनमें फंसे 24 लोगों में से अब तक केवल 9 के शव बरामद हुए हैं। गोहर उपमंडल के स्यांज में दो घर बह गए, जबकि बाड़ा में एक मकान ढहने से छह लोग दब गए।

रेस्क्यू ऑपरेशन: जान बचाने की जंग
एनडीआरएफ की टीमें लगातार लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं। करसोग के कुट्टी नाले में फंसे 7 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, वहीं करसोग कॉलेज से 12 छात्रों और 4 महिलाओं को बचाया गया। मंडी शहर में ब्यास नदी का पानी घुसने से पंडोह बाजार खाली करवाना पड़ा।

बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान
- 16 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट पटिकरी में बाढ़ में बह गया।
- 406 सड़कें बंद, 171 पेयजल योजनाएं ठप।
- 1515 बिजली ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त, कई इलाकों में अंधेरा।
आगे क्या? मौसम विभाग की चेतावनी
अगले चार दिनों तक भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी है। मंडी, कुल्लू, शिमला और सिरमौर में बाढ़ की आशंका है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्रारंभिक आकलन में 500 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही है।
सवाल: क्या हिमाचल प्रकृति के कोप से बच पाएगा?
जब तक बारिश थमने का नाम नहीं ले रही, तब तक हिमाचलवासियों के लिए यह संघर्ष जारी रहेगा। प्रशासन और रेस्क्यू टीमें पूरी ताकत से जुटी हैं, लेकिन प्रकृति के सामने इंसानी ताकत कितनी कारगर होगी?