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इंडियन हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री की ग्रोथ अगले चार साल 9-10 फीसदी सालाना रह सकती है। रेटिंग एजेंसी इकरा के मुताबिक इसमें ठोस घरेलू डिमांड और सप्लाई पाइपलाइन में सुस्ती का बड़ा हाथ होगा। इकरा की रिपोर्ट के मुताबिक, आनेवाले समय में होटल इंडस्ट्री के रेवेन्यू और मार्जिन में बढ़ोतरी हो सकती है। इसमें मौजूदा वित्तवर्ष में 10-12 फीसदी विकास संभावित है।


मौजूदा वित्तवर्ष में घरेलू मांग को बढ़ी एयर कनेक्टिविटी और लोगों की देश में घूमने-फिरने में ज्यादा दिलचस्पी का सपोर्ट मिलता रह सकता है।

इकरा की रिपोर्ट के मुताबिक हॉस्पैटिलिटी सेक्टर में घरेलू मांग को कंपनियों के बेहतर परफॉर्मेंस का भी फायदा मिल सकता है। सितंबर क्वॉर्टर में इंडिया इंक की रेवेन्यू ग्रोथ पिछले 10 क्वॉर्टर में सबसे जोरदार रही है। हालांकि, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में डिमांड के मुकाबले सप्लाई साइड सुस्त रही है और इसकी ग्रोथ अगले पांच साल में 3.6 फीसदी रह सकती है। लेकिन टॉप 12 शहरों में इनवेंटरी और प्रीमियम रूम की संख्या फिस्कल ईयर 2018 के 82,800 से बढ़कर फिस्कल ईयर 2013 में 98,900 तक पहुंच सकने से हालत बेहतर हो सकेगी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सप्लाई ग्रोथ कम रहने से सेक्टर में बना तेजी का दौर बना रह सकता है, क्योंकि सप्लाई के मुकाबले डिमांड ज्यादा तेजी से बढ़ सकती है। डिमांड और सप्लाई गैप मौजूदा 1 फीसदी से बढ़कर 2023 में 5 फीसदी तक पहुंच सकता है। इकरा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इंडस्ट्री में स्ट्रॉन्ग रेवेन्यू ग्रोथ का दौर लौटने के साथ बेहतर ऑपरेटिंग लीवरेज के चलते मार्जिन में बढ़ोतरी हो सकती है।


इंडस्ट्री पर कर्ज और ब्याज का बोझ मीडियम टर्म में धीरे-धीरे घटेगा, लेकिन रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉयीड कम से कम वित्त वर्ष 2020 तक कैपिटल कॉस्ट से कम रह सकता है।

इकरा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इंडस्ट्री पर बने कर्ज के बोझ के बारे में बताने वाला डेट टू इक्विटी रेशियो वित्त वर्ष 2021 में 1.2 तक जा सकता है। इंडस्ट्री का डेट टू इक्विटी रेशियो पिछले फिस्कल ईयर में 3.9 था जो मौजूदा फिस्कल ईयर में 3.1 रह सकता है। इंडस्ट्री के कुछ बड़े भागीदारों ने डेट घटाने के जो उपाय किए हैं, उससे मार्च 2018 को उनकी बैलेंसशीट पर बना कर्ज का बोझ काफी घट गया था। इसके चलते उनका रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉयीड फिस्कल ईयर 2018 के 6.3 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी से ज्यादा रह सकता है।

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