भारत और अमेरिका के बीच जारी व्यापार वार्ता में महत्वपूर्ण प्रगति होने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, भारत ने साफ कर दिया है कि चावल, डेयरी और गेहूं जैसे प्रमुख कृषि उत्पादों पर कोई समझौता नहीं होगा।
भारत अपने किसानों और छोटे व्यवसायों के हितों की रक्षा के लिए कड़ा रुख अपनाएगा।
अमेरिका के व्यापार शुल्क और वार्ता की स्थिति
ट्रंप सरकार की शुल्क नीति में बदलाव से भारत सहित कई देश असमंजस में है।
अमेरिका की ओर से पारस्परिक शुल्क लागू करने की अंतिम तिथि 8 जुलाई है और फिर 1 अगस्त से नए शुल्क लागू हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार,भारत जीएम फसलों को छोड़ अन्य कृषि उत्पादों पर अमेरिका को छूट देने को तैयार है।
फिलहाल, अभ डेयरी सेक्टर पर कोई छूट देने को तैयार नहीं है।
यह भारत की अपनी ‘रेड लाइन’ है, जिसे उसने अमेरिका के सामने स्पष्ट कर दिया है।
अमेरिका की मांग है कि सभी कृषि उत्पादों पर छूट मिले, लेकिन भारत इस मामले में कड़ा रुख बनाए हुए है।
निर्यातकों की बेचैनी और आगामी कदम
भारत के निर्यातक इस अनिश्चितता की वजह से चिंतित हैं कि वे व्यापार शुल्कों के स्पष्ट होने के इंतजार में हैं।
जिससे वे अपनी अगली कारोबारी रणनीति तैयार कर सकें।
अगर जल्द ही शुल्क दरें तय हो जाती हैं, तो भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंधों में सुधार की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
अमेरिका 8 जुलाई के बाद विभिन्न देशों को पारस्परिक शुल्कों को लेकर पत्र भेजना शुरू करेगा।
जिससे यह स्पष्ट होगा कि किन देशों के साथ समझौता संभव है और किन पर नए शुल्क लागू किए जाएंगे।