Islamic New Year 2018 – इस्लामी महीने यानी मोहर्रम का आगाज़ आज से हो चूका हैं।
हालांकि सोमवार को चांद नज़र नहीं आया। लेकिन मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने बताया कि पहली मोहर्रम की पहली तारीख बुधवार 12 सितम्बर को हैं। जबकि यौमे आशूरा 21 सितम्बर शुक्रवार को मनाया जाएगा।
बता दें कि ‘मुहर्रम‘ का ऐहतराम शिया व सुन्नी समुदाय में अलग-अलग तरीकों से किया जाता हैं।
शिया समुदाय व सुन्नी समुदाय के कुछ तबके मुहर्रम के शुरुआती 10 दिन ग़म मनाते हैं। क्योंकि 1400 साल पहले इस महीने की 10 तारीख को अल्लाह के पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद के छोटे नवासे मौलाना हजरत इमाम हुसैन को परिवार के कुछ सदस्यों और 72 अनुयायियों समेत मार दिया गया था। बताया जाता हैं की मौलाना हजरत इमाम हुसैन समेत उनके परिवार को कर्बला की सर ज़मी पर तीन दिनों तक भूका प्यासा रखा गया था। इस परिवार के लोगों में छोटे छोटे बच्चे भी शामिल थे। जिनको कर्बला की ताप्ती जमी में दुश्मनों ने पानी के लिए तरसाया था। मौलाना इमाम हुसैन समेत उनके परिवार के साथ काफी ज़ुल्म किए गए। और उनको मार दिया गया।
जिसके बाद से कर्बला में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत के ग़म में मुहर्रम मनाये जाता हैं।
बता दे की 12 सितम्बर से शुरू होने वाले मोहर्रम को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। इमामबाड़ों में ताजिये रखने के लिए शिया समुदाय के लोगों द्वारा तैयारी की जा रही हैं। मजलिसों और मातम के लिए फर्श -ए-अज़ा को सजाने में सब जुटे हैं। हर साल मुहर्रम महीने में उन्हीं शहीदों का मातम मनाया जाता हैं। इस्माल को एक अच्छा पैगाम देते हुए हजरत इमाम हुसैन कर्बला में शहीद हुए थे। और आज भी उनकी याद में मुहर्रम मनाया जाता हैं।