ISRO दुनिया में एक बार फिर से अपना प्रचम लहराने को तैयार है। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने हाल ही में घोषणा की है कि भारत अब एक ऐसा रॉकेट बनाने की तैयारी में जुटा है, जो 40 मंजिला इमारत के बराबर ऊंचा होगा। इसका वजन 75,000 किलोग्राम (75 टन) तक का हो सकता है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा (लो-अर्थ ऑर्बिट) में ले जाने में सक्षम साबित होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष मिशन को एक नई दिशा देने में मदद करेगी।
कई गुना अधिक शक्तिशाली होगा यह रॉकेट
बता दें कि हैदराबाद में उस्मानिया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में इसरो प्रमुख नारायणन ने बताया कि भारत का यह रॉकेट क्षमता के मामले में अब तक का सबसे बड़ा भारतीय रॉकेट साबित हो सकता है। यहीं नहीं यह रॉकेट भारत के पहले रॉकेट SLV-3 से कई गुना अधिक शक्तिशाली होगा। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा बनाए गए रॉकेट की क्षमता केवल 35 किलोग्राम थी, जबकि भारत का यह नया रॉकेट करीब 75 टन तक का भार आसानी से संभाल सकता है।
भारत बनाएगा अब तक का सबसे बड़ा रॉकेट
यह रॉकेट क्यों है खास?
- वर्तमान में इसरो का सबसे भारी रॉकेट LVM3 है, जो 10 टन पेलोड तक का भार ले जा सकता है। वही, यह नया रॉकेट उससे 7 गुना अधिक पॉवरफुल है।
- इस नए रॉकेट में भारतीय तकनीक का ही इस्तेमाल किया गया है।
- यह रॉकेट देश को नेविगेशन, संचार और पृथ्वी अवलोकन में काफी मदद करेगा।
- इस रॉकेट की मदद से भविष्य में इसरो के पुन: उपयोग योग्य रॉकेट प्रोग्राम से आसानी से जोड़ा जा सकता है।
- यह नया रॉकेट न केवल विज्ञान और तकनीक की दिशा में एक बड़ी छलांग होगी, बल्कि यह आने वाले समय में भी भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में सक्षम बनाएंगा।
इस पहल से देश को मिलेंगे ये फायदे
- अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की रॉकेट बराबरी में भारत भी अब दिखाई देगा।
- इससे भारत को वैश्विक बाजार में बड़ा हिस्सा मिलेगा।
- GSAT-7R जैसे उपग्रह से नौसेना की ताकत और भी अधिक बढ़ेगी।
- मौसम का पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन में काफी हद तक सुधार व सटीक जानकारी मिलेगी।
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