कुबेरेश्वर धाम में आयोजित कांवड़ यात्रा के दौरान अब तक सात श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है। यात्रा शुरू होने से पहले भगदड़ में दो महिलाओं की मौत हो गई थी। इसके अलावा, रुद्राक्ष महोत्सव और यात्रा के दौरान अलग-अलग कारणों से पांच और लोगों की जान चली गई।
रुद्राक्ष महोत्सव की ताजा घटना
बुधवार को दिल्ली से आए 40 वर्षीय अनिल की तबीयत अचानक खराब हो गई।
उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
शुरुआती जांच में हार्ट अटैक को मौत का कारण बताया गया है। अनिल अस्थमा के मरीज भी थे।
भगदड़ में गई दो महिलाओं की जान
5 अगस्त को रुद्राक्ष वितरण से पहले भगदड़ की स्थिति बन गई थी।
इसमें राजकोट की जसवंती बेन और फिरोजाबाद की संगीता गुप्ता की मौत हो गई।
हादसे के बाद आयोजन की व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठने लगे।
Bageshwar Dham Sarkar—Official YouTube Channel
6 और 7 अगस्त की घटनाएं
6 अगस्त को गुजरात के चतुर सिंह (50), हरियाणा के ईश्वर सिंह यादव (65) और रायपुर के दिलीप कुमार (57) की मौत हो गई।
प्रशासन ने इन मौतों को प्राकृतिक बताया है।
वहीं, 7 अगस्त को यूपी के उपेंद्र गुप्ता (22) और दिल्ली के अनिल की जान चली गई।
पूर्व मंत्री कुसुम महदेले का बयान
इन घटनाओं के बाद पूर्व मंत्री कुसुम महदेले ने सोशल मीडिया पर नाराज़गी जाहिर की।
उन्होंने पंडित प्रदीप मिश्रा के आयोजनों पर रोक लगाने की मांग की।
उनका कहना है कि रुद्राक्ष वितरण के दौरान हो रही भीड़ जानलेवा साबित हो रही है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
महदेले ने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि रुद्राक्ष वितरण को नियंत्रित किया जाए और आयोजनकर्ता पंडित मिश्रा के खिलाफ उचित कार्रवाई हो।
उन्होंने यह भी कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
इसी बीच सोशल मीडिया पर भी नाराज़गी दिख रही है।
निष्कर्ष
कुबेरेश्वर धाम में श्रद्धालुओं की मौतों ने आयोजन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एक ओर जहां भक्त आस्था में डूबे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की लापरवाही लगातार जानें ले रही है।
अब देखना होगा कि सरकार और आयोजक इस स्थिति से कैसे निपटते हैं।