बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों विपक्षी दलों में सियासी माहौल गरमाया हुआ है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मतदाता सूची में गड़बड़ियों की आशंका के चलते चुनाव बहिष्कार करने पर अपने विचारों को साझा किया था। ऐसे में AICC हेडक्वार्टर में पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि “इंडिया ब्लॉक के सभी सहयोगी इस मुद्दे पर विचार करेंगे और फैसला लेंगे। हमारे लिए तो सभी विकल्प अभी भी खुले हैं।
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि तेजस्वी का यह बयान चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की रणनीति है। साथ ही एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह बयान चुनाव आयोग की कथित पक्षपातपूर्ण कार्यशैली को उजागर करने के लिए है। चुनाव न लड़ने का कोई इरादा नहीं है। सूत्रों ने यह भी कहा कि हाल के सर्वेक्षणों में महागठबंधन का वोट शेयर बढ़ रहा है और तेजस्वी का बयान यादव और मुस्लिम वोटरों को एकजुट करने की कोशिश में है।
क्या है मामला?
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में करीब 50 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं। विपक्ष इसे चुनाव में गड़बड़ी और पक्षपात की साजिश मान रहा है। तेजस्वी ने कहा कि अगर यह प्रक्रिया नहीं रुकी, तो विपक्ष चुनाव बहिष्कार पर विचार कर सकता है।
कांग्रेस के वोट आयोग पर हमला
कृष्णा अल्लावरु ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी के साथ मिलकर बिहार के लोगों का वोट चुराने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने चुनौती दी कि हर विधानसभा क्षेत्र में 1000 मतदाताओं की रैंडम जांच की जाए। अगर सत्यापन प्रक्रिया सही तरीके से हुई है, तो वे SIR से सहमत हो जाएंगे।

विपक्ष की मांग, सरकार का इनकार
विपक्ष ने संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की, लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया। सरकार का कहना है कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है और यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
तेजस्वी के बयान ने बिहार की सियासत को गर्म कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि वह सड़क से लेकर संसद तक इस मुद्दे को उठाएगा। दूसरी ओर, बीजेपी और जेडीयू ने इसे विपक्ष की हार की घबराहट बताया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और सियासी घमासान होने की संभावना है।
ये भी पढ़ें: ब्रिटेन के साथ व्यापार की नई दिशा पर समझौता, जानें भारत को कितना होगा मुनाफा?