मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में एक बार फिर से 2020 में गिरी कांग्रेस सरकार को लेकर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह आमने-सामने आए है। दोनों वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लेकर एक-दूसरे पर सरकार गिराने का आरोप लगा रहे हैं। पांच साल बाद भी यह पुराना विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
कोरोना काल के दौरान गिरी थी क्रांगेस सरकार
दरअसल, प्रदेश में साल 2020 में कमलनाथ की सरकार कोरोना काल के दौरान गिरी थी। उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तब 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) जॉइन कर ली थी। इसके बाद बीजेपी सत्ता में लौटी और ज्योतिरादित्य केंद्रीय मंत्री बनें। हाल ही में एक पॉडकास्ट में दिग्विजय सिंह ने यह दावा किया है कि कमलनाथ से नाराजगी के कारण सिंधिया ने पार्टी छोड़ी और इसी कारण से सरकार गिरी। उन्होंने एक उद्योगपति के घर डिनर पार्टी का जिक्र करते हुए कहा कि सिंधिया की कुछ मांगें ऐसी थीं, जिन्हें कमलनाथ ने नजरअंदाज किया था।
सोशल मीडिया के जरिए दिया जवाब
सोशल मीडिया के जरिए दिया जवाब, जिसमें कमलनाथ ने दिग्विजय के दावों को खारिज किया। उन्होंने यह भी कहा कि सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय की वजह से चल रही है, जिसके चलते उन्हें बगावत की। कमलनाथ ने इसे सिंधिया की निजी महत्वाकांक्षा भी बताया है।
114 सीटें जीतकर की सत्ता हासिल
2018 में कांग्रेस ने 114 सीटें जीतकर मध्य प्रदेश में सत्ता हासिल की थी, लेकिन 2 साल बाद ही सिंधिया के बगावत करने से सरकार गिर गई। कमलनाथ मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, जबकि सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष की उम्मीद थी, जो पूरी नहीं हुई। दोनों नेताओं के बीच यह पुरानी कड़वाहट अब फिर उभर आई है।
सवाल यह है कि पुराने झगड़े को फिर से उठाने का मकसद क्या है? क्या यह कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का नया खेल है?
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