नई दिल्ली – पार्कों में हाथियों की मूर्तियां लगवाने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लखनऊ और नोएडा में अपनी और बीएसपी के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां बनवाने पर खर्च किया गया सारा सरकारी धन मायावती को लौटाना होगा। सुप्रीम कोर्ट एक वकील की।
याचिका में कहा गया है कि बसपा प्रमुख मायावती ने अपने प्रचार के लिए सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किया।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री रहते 2600 करोड़ रुपए मूल्य की छोटी बड़ी मूर्तियां बनवाईं। राजकीय निर्माण विभाग के आंकड़े बताते हैं कि लखनऊ के आंबेडकर स्मारक में 78 हाथी करीब 36 करोड़, लखनऊ के कांशीराम स्मारक में हाथी की 30 मूर्ति लगभग 17 करोड़, और नोएडा में 20 मूर्ति को लगाने में साढ़े 65 करोड़ का खर्च आया। याचिकाकर्ता का दावा है कि करीब 2600 करोड़ रुपए मायावती ने सिर्फ अपनी और हाथी की मूर्तियों पर खर्च किया है।
याचिकाकर्ता रविकांत ने 2009 में मायावती के मुख्यमंत्री रहते ही याचिका दाखिल की थी।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था हमारे संभावित विचार में मायावती को अपनी और चुनाव चिह्न की मूर्तियां बनवाने पर खर्च हुआ सार्वजनिक धन सरकारी खजाने में वापस जमा करना होगा। पीठ ने यह साफ किया कि यह अभी संभावित विचार है, क्योंकि मामले की सुनवाई में कुछ समय लगेगा। पीठ ने कहा मामले की अंतिम सुनवाई दो अप्रैल को होगी।
पार्टी की ओर से पेश हुए वकील सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा जो मूर्तियां लगी हुई हैं, वे बीएसपी के चुनाव चिह्न से मिलती जरूर है, लेकिन पार्टी का चुनाव चिह्न नहीं हैं। बसपा का चुनाव चिह्न में खड़ा हाथी है जिसकी सूंड़ नीचे जमीन की तरफ है, जबकि इन पार्कों में लगे हाथियों की सूंड़ ऊपर की तरफ है, जो की स्वागत का प्रतीक है। सतीश चंद्र मिश्रा राज्यसभा में बीएसपी के सांसद हैं।