भारत के भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को देश वापस लाने की दिशा में भारत की एजेंसियों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। दरअसल, बेल्जियम की एक अदालत ने शुक्रवार को चोकसी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। ऐसे में यह फैसला भारत के लिए एक बड़ा कानूनी और कूटनीतिक साबित हो सकता है।
बता दें कि बेल्जियम की पुलिस ने 11 अप्रैल 2025 को चोकसी को भारत के अनुरोध पर गिरफ्तार किया था। तब से वह एंटवर्प की जेल में ही है। कोर्ट का माना कि भारत का प्रत्यर्पण अनुरोध कानूनी रूप से सही है और चोकसी की गिरफ्तारी में भी कोई खामी नहीं है। हालांकि, चोकसी के पास अभी भी उच्च न्यायालय में अपील करने का एक रास्ता बचा है।
भारत की कानूनी दलीलें
भारत सरकार ने कोर्ट में विस्तृत कानूनी दस्तावेज और सबूत पेश किए। भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं का हवाला देते हुए भारत सरकार ने कहा कि धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 201 (सबूत मिटाना), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 477A (खातों का गलत हिसाब-किताब) शामिल हैं। इसके अलावा, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत भी कार्रवाई की भी मांग की है।
अंतरराष्ट्रीय समझौतों का हवाला
भारत ने कोर्ट में दो जरूरी अंतरराष्ट्रीय संधियों का वर्णन किया, जो कुछ इस प्रकार से है-
- संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन अगेंस्ट ट्रांसनेशनल ऑर्गेनाइज्ड क्राइम (UNTOC)
- संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन (UNCAC)
कौन है मेहुल चोकसी?
मेहुल चोकसी पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी है। वह करीब 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करके 2018 में भारत छोड़कर भाग गया था। वह पहले एंटीगुआ और बारबुडा का नागरिक बना, फिर बाद में बेल्जियम पहुंचा।
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