जब कोई गरीब या जरूरतमंद आयुष्मान कार्ड बनवाता है, तो उसे लगता है कि संकट में यह कार्ड बहुत काम आएगा।
इससे प्राइवेट अस्पतालों में भी 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिल सकता है।
लेकिन अब यह भरोसा कमजोर पड़ता दिख रहा है।
बड़े अस्पताल क्यों हट रहे हैं योजना से ?
देशभर में कई प्राइवेट अस्पताल अब योजना से पीछे हट रहे हैं।
हरियाणा में 675 अस्पतालों ने 6 अगस्त से इलाज रोकने की घोषणा कर दी है।
वहीं दिल्ली में योजना लागू होने के बाद भी नए अस्पताल इससे नहीं जुड़ रहे हैं।
आंकड़े जो चिंता बढ़ाते हैं
साल 2024-25 में सिर्फ 2113 अस्पताल योजना से जुड़े हैं।
2023-24 में यह संख्या 4271 थी।
2022-23 में 3124 नए अस्पताल योजना से जुड़े थे।
अब तक कुल 31,466 अस्पताल आयुष्मान योजना का हिस्सा बन चुके हैं।
इनमें से 14,194 अस्पताल निजी क्षेत्र के हैं।
दिल्ली में नहीं बढ़ी अस्पतालों की संख्या
दिल्ली में सिर्फ 93 अस्पताल योजना में शामिल हैं।
इतने महीनों बाद भी यही संख्या बनी हुई है।
दूसरी ओर, उत्तराखंड में 294 और यूपी में लगभग 3000 अस्पताल शामिल हैं।
आयुष्मान भारत योजना की आधिकारिक वेबसाइट: https://pmjay.gov.in
वजह नंबर 1: भुगतान में देरी
अस्पतालों का आरोप है कि सरकार समय पर भुगतान नहीं कर रही है।
हरियाणा के अस्पतालों के मुताबिक, 15 जुलाई तक 500 करोड़ रुपये मिलने थे।
लेकिन अब तक सिर्फ 240 करोड़ रुपये की ही मंजूरी मिली।
झारखंड में भी 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान अभी लंबित है।
वजह नंबर 2: इलाज महंगा, पैकेज सस्ता
निजी अस्पतालों का कहना है कि तय किए गए हेल्थ पैकेज बहुत कम हैं।
कम बजट में सही इलाज देना उनके लिए संभव नहीं है।
इसलिए वे ज्यादा भुगतान की मांग कर रहे हैं।
हालांकि, सरकार का दावा है कि अब तक 5 बार पैकेज में संशोधन किया जा चुका है।
अब आगे क्या ?
सरकार चाहती है कि ज्यादा अस्पताल योजना से जुड़ें।
लेकिन जब तक भुगतान और पैकेज का मुद्दा नहीं सुलझेगा, संकट बना रहेगा।
इसका सीधा असर गरीब मरीजों पर पड़ेगा।