चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा विवादों को दरकिनार कर आगे की राह तय करने के लिहाज से बेहद सफल साबित हुई है।

खासतौर पर पाकिस्तान के सबसे अहम सहयोगी माने जा रहे चीन के राष्ट्रपति ने जिस तरह से कश्मीर मुद्दे पर खामोशी ओढ़ी उसे भारत की बड़ी सफलता और पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा सकता है। जिनपिंग की यात्रा में सबसे ज्यादा कयास कश्मीर को लेकर लगाए जा रहे थे। इसके परे विश्व के दो ताकतवर नेताओं ने विवादों की छाया से बचते हुए व्यापार और परस्पर संपर्क को बढ़ावा देने का फैसला किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह की रणनीति अपनाई थी उसमें वे सफल साबित हुए। उनकी जिनपिंग से निजी केमिस्ट्री का असर साफ दिखा।

प्रफुल्ल पटेल पर शिकंजा


पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल पर शिकंजा कसता नजर आ रहा है। उनके कारोबारी रिश्ते डॉन दाऊद से होने के सबूत मिले हैं। ईडी पूरे मामले की जांच कर रहा है। अगर जांच में कुछ भी पटेल के खिलाफ गया तो चिदंबरम के बाद जेल जाने वाले वे दूसरे बड़े नेता होंगे। खैर, अभी तो पटेल यही कामना कर रहे होंगे कि जांच में ऐसा कुछ न आए जिससे उन पर आंच आए। क्योंकि यह मामला न सिर्फ उनकी छवि को ठेंस पहुंचाएगा, बल्कि उनकी महाराष्ट्र में जो साख है, उसे भी खाक कर देगा।

नरम पड़े राज ठाकरे के तेवर


महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता की बात करने वाले मनसे प्रमुख राज ठाकरे को लगता है कि राजनीति समझ में आ गई है। लोकसभा चुनाव में मात खाने के बाद उत्तर भारतीय विरोध की राजनीति करने वाले राज ठाकरे के तेवर अब ढीले पड़ गए हैं। राज ठाकरे इस बार खुलकर उत्तर भारतीयों के खिलाफ बोलने से बचते दिखाई दे रहे हैं। इस चुनाव में वह सिर्फ विपक्ष का नेता बनाने के लिए जरूरी सीट पाना चाहते हैं। राज ठाकरे ने अब तक महाराष्ट्र में तीन जनसभाएं की हैं लेकिन उन जनसभाओं में उत्तर भारतीयों को निशाना बनाने से परहेज किया है।

राजन के संकेत गंभीर
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बहुसंख्यकवाद और तानाशाही देश को अंधेरे और अनिश्चितता के रास्ते पर ले जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार की मौजूदा आर्थिक व्यवस्था स्थायी नहीं है। यही नहीं पूर्व गवर्नर ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर संस्थानों को कमजोर करने का भी आरोप लगाया। राजन की बातों में सरकार पर आरोप भले ही राजनीति से प्रेरित माना जाए, मगर अर्थव्यवस्था को लेकर वे जिस तरह के संकेत दे रहे हैं, वे गंभीर हैं। देश आज जिस तरह से मंदी का सामना कर रहा है, उसे अगर गंभीरता से नहीं लिया गया तो भविष्य में सिर्फ अंधेरा ही होगा।

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