कैसे होता है मोजैक वॉरफेयर?
- इसमें सैटेलाइट इंटरनेट (जैसे स्टारलिंक) से रियल टाइम जानकारी कमांड सेंटर तक भेजी जाती है।
- AI और ह्यूमन एक्सपर्ट्स मिलकर उस इंटेलिजेंस का एनालिसिस करते हैं।
- तय किया जाता है कि मिसाइल और ड्रोन से कौन-सा टारगेट हिट करना है।

रूस-यूक्रेन युद्ध में कैसे हुआ इसका इस्तेमाल?
2022 में जब युद्ध शुरू हुआ, रूस ने सबसे पहले यूक्रेन का कम्युनिकेशन नेटवर्क तोड़ दिया। इसके बाद यूक्रेन ने स्टारलिंक से कनेक्ट होकर अपने ड्रोन और आर्मी को रियल टाइम अपडेट देना शुरू कर दिया।
AI की मदद से ड्रोन हमलों के लिए टारगेट चिन्हित किए गए। इससे यूक्रेन ने कई बार रूस के अंदर गहरी स्ट्राइक की।

भारत इस रेस में कितना तैयार है?
ड्रोन अटैक करने के लिए:
- भारत ने FPV ड्रोन तैयार किए हैं, जो टैंक और पोस्ट पर सीधे हमला कर सकते हैं।
- इसमें रियल टाइम वीडियो फीड और डबल सेफ्टी सिस्टम भी है।
ड्रोन से बचाव के लिए:
- भार्गवास्त्र माइक्रो-मिसाइल सिस्टम:
दुश्मन के ड्रोन को 6-10 किमी दूर से पहचान कर 2.5 किमी रेंज में मार गिराता है। - आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम:
ड्रोन को रडार पर पकड़कर मिसाइल फायर का आदेश देता है। - इंद्रजाल:
AI आधारित ये सिस्टम किसी भी ड्रोन को बिना इंसानी मदद के पहचान कर गिरा सकता है।

भविष्य का युद्ध: AI और ड्रोन का कब्ज़ा
एलन मस्क ने कहा है कि अब मैन पायलट फाइटर जेट पुरानी बात हो जाएगी। भविष्य में युद्ध AI और ड्रोन ही लड़ेंगे।
भारत भी इसी रेस में अपनी ताकत बढ़ा रहा है और जल्द ही नई टेक्नोलॉजी से लैस डिफेंस सिस्टम लाने की तैयारी में है।