मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में कलेक्टर नेहा मारव्या सिंह द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर में पत्रकारों के बिना अनुमति प्रवेश पर रोक लगाए जाने के फैसले से विवाद खड़ा हो गया है। यह आदेश 1 जुलाई को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 का हवाला देते हुए जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि पत्रकार अब केवल कलेक्टर की अनुमति से ही परिसर में प्रवेश कर सकेंगे।
इस कदम के खिलाफ स्थानीय पत्रकारों में नाराजगी है। उन्होंने इसे प्रेस की स्वतंत्रता और प्रशासनिक पारदर्शिता के खिलाफ बताते हुए विरोध शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी इसका तीव्र विरोध दर्ज किया जा रहा है।
हालांकि विवाद बढ़ने के बाद कलेक्टर ने एक संशोधित आदेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि विशेष परिस्थितियों में पत्रकारों को कलेक्टर की अनुमति से प्रवेश मिल सकता है। साथ ही संवाद बनाए रखने के उद्देश्य से उन्होंने पत्रकारों को बैठक के लिए आमंत्रित भी किया। लेकिन पत्रकारों ने यह आमंत्रण ठुकराते हुए विरोध जारी रखने का ऐलान किया है।
IAS नेहा मारव्या सिंह पहले भी अपने बेबाक और नियमप्रिय रवैये के लिए सुर्खियों में रही हैं। 2011 बैच की इस अधिकारी को लंबे समय तक फील्ड पोस्टिंग से वंचित रखा गया था। 2024 के अंत में उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी स्थिति जाहिर करते हुए बताया था कि 14 वर्षों में उन्हें कभी फील्ड पोस्टिंग नहीं मिली। उनकी पोस्ट वायरल होने के बाद सरकार पर दबाव बढ़ा और जनवरी 2025 में उन्हें डिंडोरी का कलेक्टर नियुक्त किया गया।
उनके समर्थकों का कहना है कि यह आदेश कार्यालय की सुरक्षा और गोपनीयता के हित में है, जबकि आलोचक इसे मीडिया को प्रशासन से दूर करने की कोशिश मान रहे हैं। अब देखना यह है कि यह टकराव किस दिशा में जाता है।