Taragiri Warship: स्वदेशी उन्नत स्टेल्थ युद्धपोत ‘तारागिरी’ को अब भारतीय नौसेना के हाथों में सौंप दिया गया है। दरअसल, यह युद्धपोत अत्याधुनिक लड़ाकू क्षमताओं से लैस है, जो भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत को और भी मजबूत करेगा।
अधिकारियों ने बताया कि यह तारागिरी 28 नवंबर को मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में नौसेना को मिली।
भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता का प्रतीक
तारागिरी युद्धपोत न केवल भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता का प्रतीक है, बल्कि पुराने आइएनएस तारागिरी का नया रूप भी है। पुराना आइएनएस तारागिरी 16 मई 1980 से 27 जून 2013 तक भारतीय नौसेना के लिए कार्य कर रहा था।
पुराने आइएनएस के बाद से ही नए तारागिरी को बनाने की तैयारी में जुट गए थे। बता दें कि नीलगिरी-क्लास (प्रोजेक्ट 17ए) के चौथे युद्धपोत के रूप में तैयार किया। इसे खासतौर पर समुद्री क्षेत्र में वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है।
आधुनिक हथियारों और तकनीकों से लैस
नौसेना के लिए यह युद्धपोत कई आधुनिक हथियारों और तकनीकों से लैस की गई है। इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, एमएफएसटीएआर रडार, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, राकेट और टॉरपीडो आदि शामिल हैं।

18 महीने में बनकर हुई तैयार
मिली जानकारी के मुताबिक, तारागिरी को तैयार करने में कुल 81 महीने का समय लगा। यह प्रोजेक्ट 17ए श्रेणी का चौथा युद्धपोत है, जिसे नौसेना के हाथों में सुरक्षित सौंपा गया है।
इस श्रेणी का पहला युद्धपोत नीलगिरी बनाने में 93 महीने लग गए थे। प्रोजेक्ट 17ए के अन्य तीन युद्धपोत अगले साल अगस्त तक नौसेना को चरणबद्ध तरीके से सौंप दिए जाएंगे।
10,000 से अधिक लोगों को मिला रोजगार
तारागिरी प्रोजेक्ट में 200 से अधिक एमएसएमई शामिल हैं और इसमें इस्तेमाल होने वाली चीजें का लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी है। इस कार्य से करीब चार हजार लोगों को प्रत्यक्ष और दस हजार से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।
यह परियोजना न केवल नौसेना की ताकत बढ़ाने में सहायक है, बल्कि देश की औद्योगिक और तकनीकी क्षमता को भी पहले के मुकाबले अधिक मजबूत बनाने में मदद करती है।
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