छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में दो दशकों से फैली नक्सली हिंसा को सुरक्षाबलों के द्वारा लगातार निर्णायक कार्रवाई की जा रही है। दरअसल, 18 नवंबर, 2025 यानी मंगलवार को आंध्र प्रदेश के मारेदुमिल्ली जंगलों में सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई में नक्सलियों के टॉप कमांडर माडवी हिडमा को उसकी पत्नी राजे उर्फ राजक्का और चार अन्य नक्सलियों के साथ मार गिराया गया।
बता दें कि छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने इस सफलता को “नक्सलवाद की ताबूत में आखिरी कील” करार है। इसे हिडमा के खात्मे को नक्सलियों के पूरे ढांचे पर सबसे बड़ा प्रहार माना जा रहा है।
कौन था हिडमा?
जानकारी के लिए बता दें कि माडवी हिडमा का जन्म 1984 के आसपास सुकमा जिले के पुर्वर्ति गांव में हुआ था। दसवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद वह 90 के दशक के अंत में नक्सली संगठन में शामिल हुआ। शुरुआती स्तर पर संगठन में काम करने के बाद उसने गुरिल्ला रणनीतियों में महारत हासिल की और आधिकारिक तौर पर PLGA (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) की बटालियन नंबर–1 का कमांडर बन गया।
हिडमा पर 1 करोड़ से अधिक का इनाम
हिडमा को ‘हिडमालु’, ‘संतोष’ समेत कई नामों से जाना जाता था। उसकी असली उम्र और पहचान काफी समय तक रहस्य में रही, क्योंकि वह बेहद सतर्क, चालाक और बेरहम था। साल 2024 में उसे सेंट्रल कमिटी में प्रमोशन दिया गया, जहां वह सबसे युवा सदस्य था। केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलाकर इसके ऊपर 1 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम रखा था।
जंगली रास्तों का ‘मास्टर स्ट्रैटेजिस्ट’
हिडमा एके-47 थामे अपने सैकड़ों हमलावरों के साथ जंगलों में घूमता था। उसकी सुरक्षा 4-लेयर वाली मजबूत घेरेबंदी में होती थी। इसी वजह से वह कई सालों तक सुरक्षा बल के हाथों में नहीं आया, लेकिन पिछले दो वर्षों में सुरक्षा एजेंसियों ने लगातार अभियानों से उसके नेटवर्क को तोड़ और बड़ी कार्रवाई भी की।

झीरम घाटी व अन्य हमलों का मास्टरमाइंड
खबरों के अनुसार, हिडमा को 26 बड़े नक्सली हमलों का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है।
- 2010 के ताड़मेटला में 76 जवानों की शहादत।
- 2013 की झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं की हत्या।
- 2017 बुरकापाल हमला जिसमें 24 जवान शहीद हुए।
- सालों तक कई बड़े घात—इन सबका नेतृत्व हिडमा ने किया।
- अप्रैल 2021 में उसे पकड़ने कोशिश में 23 जवान शहीद हुए थे और 400 से ज्यादा नक्सलियों ने 2000 जवानों को घंटों तक घेरे रखा था।
हिडमा का अंत कैसे हुआ?
मंगलवार को भरतीय सुरक्षा एजेंसियों ने मारेदुमिल्ली जंगल में इनपुट के आधार पर एक ऑपरेशन चलाया। इस ऑपरेशन में हिडमा और उसके साथियों को मुठभेड़ में ढेर हुए।
वही, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह कदम बस्तर से माओवादी नेटवर्क को खत्म करने की दिशा में निर्णायक कदम है। अब तक सेंट्रल कमिटी के टॉप 9 नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ के 5, झारखंड के 2 और आंध्र प्रदेश के 2 हैं।
नक्सलियों के लिए सबसे बड़ा झटका क्यों?
हिडमा दंडकारण्य के नक्सली तंत्र का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता था। उसकी रणनीति, बहादुरी की छवि और क्रूरता के लिए जानी जाती थी। ऐसे में इसके मारे जाने के बाद नक्सलियों की कमर टूटी है। जैसे कि-
- PLGA बटालियन नंबर–1 का नेतृत्व बिखरेगा।
- युवा कैडरों का मनोबल कमजोर होगा।
- जमीन पर नक्सलियों की ताकत तेजी से घटेगी।
- अंडरग्राउंड नेटवर्क में बड़ी दरार पड़ेगी।
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