“सरकार का बड़ा फैसला: अब पीक आवर्स में कैब का किराया होगा डबल!”
क्या आपने कभी बारिश में या ऑफिस टाइम में कैब बुक करते हुए देखा कि किराया अचानक आसमान छू रहा है? अब यह और भी ज्यादा होने वाला है! केंद्र सरकार ने ओला, उबर, रैपिडो और इनड्राइव जैसी कैब कंपनियों को पीक आवर्स में बेस किराए का दोगुना (2x) चार्ज करने की इजाजत दे दी है। यानी अगर आपकी सामान्य राइड 100 रुपए की है, तो पीक टाइम में यह 200 रुपए तक पहुंच सकती है!
1. पीक आवर्स में किराया क्यों बढ़ेगा?
सरकार ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस (MVAG) 2025 जारी की हैं, जिसमें कहा गया है कि अब कैब कंपनियां ट्रैफिक, बारिश या त्योहारों के दौरान किराए में 2 गुना तक की बढ़ोतरी कर सकती हैं। पहले यह लिमिट 1.5x थी।
उदाहरण: अगर दिल्ली में 5 किमी की राइड का बेस किराया 100 रुपए है, तो पीक टाइम में यह 200 रुपए तक पहुंच सकता है।
2. पीक आवर्स कब होते हैं?
ये वो समय होते हैं जब:
- सुबह 8-11 बजे (ऑफिस जाने का टाइम)
- शाम 5-9 बजे (घर लौटने का टाइम)
- भारी बारिश, त्योहार या बड़े इवेंट्स के दौरान
उदाहरण: मुंबई में बारिश के दिनों में अगर आप मरीन ड्राइव से चर्चगेट जाना चाहते हैं, तो किराया डबल हो सकता है!
3. क्या ऑफ-पीक टाइम में किराया कम होगा?
हां! नए नियम के मुताबिक, जब डिमांड कम होगी (जैसे दोपहर या रात), तो किराया बेस रेट से 50% कम नहीं होगा। यानी अगर बेस किराया 100 रुपए है, तो आपसे कम से कम 50 रुपए लिए जाएंगे, भले ही राइड छोटी हो।
उदाहरण: रात 11 बजे बेंगलुरु में अगर आप 2 किमी की बाइक टैक्सी लेते हैं, तो कम से कम 50 रुपए देना पड़ेगा।
4. बेस किराया कौन तय करता है?
इसे राज्य सरकारें तय करती हैं। हर शहर का अलग बेस किराया होता है, जो वहां के ट्रैफिक, ईंधन की कीमत और लोकल नियमों पर निर्भर करता है।
5. क्या ड्राइवर राइड कैंसिल करेगा तो जुर्माना लगेगा?
हां! अगर ड्राइवर बिना वजह राइड कैंसिल करता है, तो उस पर 10% जुर्माना लग सकता है। यह नियम यूजर्स को परेशानी से बचाने के लिए बनाया गया है।
6. ये नियम कब से लागू होंगे?
सरकार ने राज्यों से कहा है कि सितंबर 2025 तक इन नियमों को लागू कर दिया जाए।
7. ड्राइवर्स के लिए क्या नया है?
- 5 लाख का बीमा कवर अनिवार्य किया गया है।
- नॉन-पीक आवर्स में भी कम से कम 50% किराया मिलेगा, जिससे उनकी कमाई सुरक्षित रहेगी।
बोनस फैक्ट: ओला इलेक्ट्रिक का रोचक सफर
क्या आप जानते हैं कि ओला इलेक्ट्रिक की स्थापना 2017 में हुई थी? आज यह कंपनी इलेक्ट्रिक स्कूटर, बैटरी और व्हीकल फ्रेम बनाती है। मार्च 2024 तक इसमें 959 कर्मचारी काम कर रहे थे।
क्या होगा असर?
- यूजर्स के लिए: पीक टाइम में महंगी राइड्स, लेकिन ऑफ-पीक में कम दाम।
- ड्राइवर्स के लिए: बेहतर कमाई और सुरक्षा।
- कैब कंपनियों के लिए: ज्यादा मुनाफा!