राजीव गांधी किसान योजना के 19 लाख किसानों को 1500 करोड़ रूपए की दूसरी किश्त
11.46 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलेगा 232.81 करोड़ रूपए का प्रोत्साहन पारिश्रमिक
गोधन न्याय योजना: गोबर विक्रेताओं को मिलेगी 4 करोड़ 50 लाख रूपए का दूसरा भुगतान
श्रीमती सोनिया गांधी और श्री राहुल गांधी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए होंगे शामिल
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी की जयंती 20 अगस्त पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल प्रदेश के किसानों, तेंदूपत्ता संग्राहकों और गोबर विक्रेताओं के खाते में 1737.50 करोड़ रुपए की राशि का सीधे अंतरण करेंगे। मुख्यमंत्री इस राशि में से धान, गन्ना और मक्का उत्पादक 19 लाख किसानों को ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत 1500 करोड़ रूपए की दूसरी किश्त की राशि का आनलाईन अंतरण करेंगे। इसके अलावा श्री बघेल गोधन न्याय योजना के तहत गोबर विक्रेताओं को 4 करोड़ 50 लाख रूपए की राशि और तेंदूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2018 के प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में 232.81 करोड़ की राशि उनके खातों में अंतरित करेंगे। मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में दोपहर 12.30 बजे आयोजित कार्यक्रम से सांसद श्रीमती सोनिया गांधी और श्री राहुल गांधी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल होंगे। मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ मंत्रीमंडल के सदस्य उपस्थित रहेंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्रदेश के 19 लाख किसानों को 5750 करोड़ की आदान सहायता राशि दी जा रही है।
जिसमें प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ की राशि राजीव गांधी जी के शहादत दिवस 21 मई को प्रदान की गई थी वहीं इस योजना के तहत दूसरी किश्त के रूप में 1500 करोड़ की राशि 20 अगस्त को प्रदान की जा रही है। इस योजना से प्रदेश के धान, गन्ना और मक्का उत्पादक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में गोधन न्याय योजना के तहत दो रूपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। इस योजना में 20 जुलाई से 15 अगस्त तक 6 करोड़ 17 लाख रूपए मूल्य का 3 लाख क्विंटल से ज्यादा गोबर खरीदा जा चुका है। गोधन न्याय योजना का पहला भुगतान 5 अगस्त को एक करोड़ 65 लाख रूपए का किया जा चुका है।
इस योजना के तहत 2 अगस्त से 15 अगस्त तक खरीदे गए सवा दो लाख क्विंटल गोबर की राशि 4 करोड़ 50 लाख रूपए का भुगतान विक्रेताओं को उनके खातों में किया जाएगा। प्रदेश के 4377 गौठानों में से 3205 क्रियाशील गौठान हैं, जहां गोबर खरीदी हो रही है। राज्य में 1 लाख 1919 पशुपालकों का पंजीयन किया गया है, इनमें से 63 हजार 942 पशुपालक योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। खरीदे गए गोबर से गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट तैयार की जा रही है, जिसकी बिक्री 8 रुपए प्रति किलो की दर पर सहकारी समिति के माध्यम से की जाएगी।
इस अवसर पर प्रदेश के 114 विकासखण्डों के अंतर्गत तेंदूपत्ता संग्रहण वर्ष 2018 सीजन में 728 समितियों के 11 लाख 46 हजार 626 तेंदूपत्ता संग्राहकों को 232 करोड़ 81 लाख रूपए की प्रोत्साहन पारिश्रमिक की राशि वितरित की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री बघेल यह राशि सीधे तेंदूपत्ता संग्राहकों के खाते में आर.टी.जी.एस. के जरिए अंतरित करेंगे। तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्रोत्साहन पारिश्रमिक वितरित करने के लिए संबंधित जिलों में जिला स्तर पर और 114 विकासखण्डों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विकाखण्ड स्तर पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में अधिकतम प्रोत्साहन पारिश्रमिक की राशि प्राप्त करने वाले 10 संग्राहक सदस्यों को सम्मानित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि तेंदूपत्ता संग्रहण वर्ष 2018 सीजन में प्रदेश की 880 प्राथमिक वन समितियों द्वारा कुल 14.85 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया था।
संग्रहण पारिश्रमिक की दर वर्ष 2018 में 2500 रूपए प्रति मानक बोरा थी। वर्ष 2018 में 11 लाख 98 हजार 673 तेंदूपत्ता संग्राहकों को 371.15 करोड़ रूपए की राशि संग्रहण पारिश्रमिक के रूप में वितरित की गई थी। इन 880 समितियों में से 854 समितियों के तेंदूपत्ता का निर्वर्तन निविदा के माध्यम से किया गया है। इनमें से 728 समितियां लाभ की स्थिति में रहीं। तेंदूपत्ता व्यापार से शुद्ध लाभ की 80 प्रतिशत राशि प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में तेंदूपत्ता संग्राहकों को वितरण करने का प्रावधान राज्य शासन की नीति में है।
लाभ की स्थिति वाले 728 समितियों के 11 लाख 46 हजार 626 तेंदूपत्ता संग्राहकों को कुल 232.81 करोड़ रूपए की राशि प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में वितरित की जाएगी।
ये समितियां प्रदेश के 114 विकासखण्डों के अंतर्गत स्थित है। जिन संग्राहकों के बैंक खातों का विवरण प्राप्त हो गया है, उनके खाते में यह राशि सीधे एक्सिस बैंक के माध्यम से आर.टी.जी.एस से भेजी जाएगी। प्रदेश में तेंदूपत्ता का संग्रहण पारिश्रमिक 2500 रुपए से बढ़ाकर 4000 रुपए प्रति मानक बोरा किया गया है, इसी प्रकार पर 7 के स्थान पर 31 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गयी है।