चीन और पाकिस्तान ने मिलकर एक नया रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट लॉन्च किया है, जो आधिकारिक रूप से तो CPEC परियोजना और कृषि डेटा की निगरानी के लिए है, लेकिन इसके ज़रिए भारत की संवेदनशील सीमाओं और सैन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग चीन के शिचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से की गई। पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी SUPARCO ने इसकी पुष्टि की है।
क्या यह सिर्फ निगरानी है या कुछ और?
सैटेलाइट का उपयोग चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) की निगरानी में किया जाएगा।
जो कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है – एक इलाका जिसे भारत अपना अभिन्न अंग मानता है।
ऐसे में यह सैटेलाइट भारत की भू-राजनीतिक संप्रभुता पर सीधी चुनौती बन सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही सैटेलाइट को “सिविलियन यूज़” के नाम पर लॉन्च किया गया हो।
लेकिन इसका इस्तेमाल हाई-रेज़ोल्यूशन इमेजिंग के ज़रिए सुरक्षा प्रतिष्ठानों, सीमावर्ती इलाकों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर निगरानी के लिए किया जा सकता है।
क्या कहती है पाकिस्तानी एजेंसी SUPARCO?
SUPARCO के अनुसार:
- यह सैटेलाइट कृषि, पर्यावरण, और भौगोलिक बाधाओं की पहचान में मदद करेगा
- प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और आपदा राहत के लिए भी उपयोगी होगा
- यह सैटेलाइट रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है, और यह पाकिस्तान का दूसरा रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है
- इससे पहले PRSS-1 को 2018 में चीन से ही लॉन्च किया गया था
भारत के लिए खतरा क्यों?
- PoK की निगरानी: यह सैटेलाइट सीधे उस क्षेत्र पर नजर रखेगा जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है।
ऐसे में यह राष्ट्रीय सुरक्षा का बड़ा मुद्दा बन सकता है। - सीमा पार जासूसी की संभावना: अंतरिक्ष से हाई-रेज़ोल्यूशन इमेजिंग के ज़रिए भारत के सैन्य ठिकानों।
आधार शिविरों और सामरिक मूवमेंट्स पर नजर रखी जा सकती है। - चीन की अंतरिक्ष रणनीति में पाकिस्तान की भूमिका: विशेषज्ञ इसे स्पेस-जिओपॉलिटिक्स का हिस्सा मानते हैं।
जहां पाकिस्तान को चीन की निगरानी नीति में ‘मोहरा’ बनाया जा रहा है।
स्पेस प्रोग्राम में चीन पर पूरी निर्भरता
पाकिस्तान का अंतरिक्ष कार्यक्रम पूरी तरह से चीन पर निर्भर है:
- अब तक लॉन्च हुए पाकिस्तान के सभी सैटेलाइट चीन की मदद से लॉन्च किए गए हैं
- पाकिस्तान के पास खुद का कोई लॉन्चिंग सेंटर नहीं है
- इसके साथ ही अब पाकिस्तान के 5 सैटेलाइट कक्षा में सक्रिय हैं
राजनीतिक प्रतिक्रिया की उम्मीद
भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस पर कैसे प्रतिक्रिया देंगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
हालांकि यह मुद्दा पहले भी संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठ चुका है कि PoK में CPEC की गतिविधियां भारत की संप्रभुता का उल्लंघन हैं।
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