भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) नया गाइडेड रॉकेट सिस्टम पिनाका-4 का विकास तेजी से कर रहा है।
इस रॉकेट सिस्टम का नाम भगवान शिव के धनुष पर रखा गया है।
यह देश की सुरक्षा शक्ति का एक अहम हिस्सा है।
इस रॉकेट की शुरुआत कारगिल युद्ध के बाद हुई, जब पिनाका MkI को सेना में शामिल किया गया। इसके बाद गाइडेड पिनाका (75–90 किलोमीटर) और फिर MkIII (120 किलोमीटर) वर्जन आए।
अब डीआरडीओ पिनाका-4 पर तेजी से काम कर रहा है, जिसकी रेंज लगभग 300 किलोमीटर तक होगी।
पिनाका-4 की तकनीकी ताकत

1. ज्यादा दूरी, ज्यादा विनाश
पिनाका-4 का कैलिबर 300 मिमी तक है, जो पुराने 214 मिमी से अधिक बड़ा है। इसका मतलब यह है कि ज़्यादा प्रोपेलेंट, 250 किलो वॉरहेड की क्षमता और ज़्यादा तबाही।
2. शानदार गाइडेंस सिस्टम
डीआरडीओ के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) ने इसे GNC सिस्टम से लैस किया है, जो 10 मीटर से कम की त्रुटि (CEP) के साथ दुश्मन को चौंका सकता है।
यह चीन के PHL-16 और रूस के स्मर्च जैसे सिस्टम से मुकाबले में सक्षम माना जाता है।
3. एयर डिफेंस को मात
पिनाका-4 की खास बात यह है कि यह दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा आसानी से दे सकता है।
इसमें प्रलय SRBM से प्रेरित तकनीक जैसे क्वासी-बैलिस्टिक ट्रैजेक्ट्री, MaRV, डिकॉय तैनाती और जेट वैन का इस्तेमाल है।
सेना के लिए है वरदान
पिनाका-4 पुराने पिनाका लॉन्चरों से भी दागा जा सकता है, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर पर किसी तरह का अतिरिक्त खर्च नहीं होगा।
सेना इसे अपनी 6 रेजिमेंट्स में भी आसानी से शामिल कर सकती है। इसकी 300 किलोमीटर की रेंज तक दुश्मन की जमीन पर हमला करने की ताकत देती है।