भारत में कई बार ऐसा हुआ है जब यौन शोषण में फंसे राजनेता सुर्खियों में आए हैं। यह लेख ऐसे ही मामलों की सूची देता है, जिनमें नेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगे, मुकदमे दर्ज हुए और कई मामलों में सजा भी हुई।
आज का मामला: प्रज्वल रेवन्ना
कर्नाटक के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर कई महिलाओं से बलात्कार के आरोप लगे हैं।
उनके खिलाफ चार अलग-अलग FIR दर्ज की गई हैं।
मामला अभी कोर्ट में है और फैसले में तकनीकी कारणों से देरी हो रही है।
मोबाइल फोन से कथित वीडियो ट्रांसफर को लेकर भी विवाद चल रहा है।
यौन शोषण के अन्य मामले
1. अमरेश जेना (BJD पार्षद, ओडिशा) 19 वर्षीय युवती से दुष्कर्म के आरोप में जुलाई 2025 में गिरफ्तार।
POCSO एक्ट और भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज। पार्टी से निलंबित।
2. उदित नारायण प्रधान (NSUI, ओडिशा अध्यक्ष)
एक छात्रा के साथ दुष्कर्म का आरोप। पीड़िता का आरोप है कि उसे नशीला पदार्थ देकर बलात्कार किया गया।
कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निलंबित किया। जांच जारी है।
3. देवेंद्र बुढ़िया (हरियाणा)
20 वर्षीय महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया। जून 2025 में गिरफ्तार।
नया BNSS कानून लागू होने के बाद यह पहला हाई-प्रोफाइल मामला है जिसमें विशेष पुलिस रिमांड दी गई।
ऐतिहासिक हाई-प्रोफाइल केस
4. कुलदीप सिंह सेंगर (पूर्व भाजपा विधायक, उन्नाव)
2017 में 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार का आरोप। 2019 में दोषी पाए गए और उम्रकैद की सजा हुई।
बीजेपी से निष्कासित।
5. राजबल्लभ यादव (राजद विधायक, बिहार)
2016 में नाबालिग से बलात्कार के आरोप। 2018 में POCSO के तहत दोषी करार दिए गए।
और उम्रकैद की सजा हुई।
6. गायत्री प्रसाद प्रजापति (सपा मंत्री, उत्तर प्रदेश)
2017 में महिला से बार-बार बलात्कार और ब्लैकमेलिंग के आरोप।
2021 में उम्रकैद की सजा मिली।
7. राघवजी (पूर्व वित्त मंत्री, मप्र)
2013 में एक घरेलू सहायक के यौन शोषण के आरोप लगे। इस्तीफा देना पड़ा और बीजेपी से निष्कासित हुए।
2023 में हाईकोर्ट ने FIR खारिज कर दी।
8. संदीप कुमार (आप नेता, दिल्ली)
2016 में एक महिला ने नशीला पदार्थ देकर दुष्कर्म का आरोप लगाया।
गिरफ्तारी हुई, बाद में जमानत मिली। मुकदमा अभी भी लंबित।
इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि भारत में कई यौन शोषण में फंसे राजनेता गंभीर अपराधों में संलिप्त पाए गए हैं।
कुछ मामलों में न्याय हुआ, जैसे सेंगर, यादव और प्रजापति को उम्रकैद हुई।
परंतु कई केस अभी भी लंबित हैं या दबा दिए गए।
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