शिक्षा या आर्थिक संकट ?
शिक्षा का मतलब होता है बेहतर भविष्य, लेकिन आजकल निजी स्कूलों की फीस मध्यम वर्ग के लिए सिरदर्द बन गई है।
थोड़ी सी बेहतर कमाई होते ही माता-पिता सोचते हैं कि बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाएं।
वहीं, अच्छे स्कूल का मतलब अक्सर प्राइवेट स्कूल होता है।
लेकिन अब यही फैसला आर्थिक संकट का कारण बन रहा है।
CA मीनल गोयल की चेतावनी
चार्टर्ड अकाउंटेंट मीनल गोयल ने एक अहम सवाल उठाया है—क्या प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना वाकई जरूरी है?
उन्होंने कहा है, “अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजना बंद करो।
इसके पीछे कारण है लगातार बढ़ती फीस और उस पर दबाव में जीते माता-पिता।
फीस का बोझ: आंकड़े चौंकाने वाले हैं
CA मीनल गोयल ने LinkedIn पर स्कूल फीस का पूरा कैलकुलेशन बताया है।
इसमें एडमिशन चार्ज: ₹35,000, ट्यूशन फीस 1.4 लाख
सालाना चार्ज: ₹38,000
ट्रांसपोर्ट: ₹44,000 से ₹73,000
किताबें-यूनिफॉर्म: ₹20-30 हजार तक की लागत शामिल है।
इसी तरह, सालाना कुल खर्च ₹2.5 लाख से ₹3.5 लाख तक पहुंचता है। बड़े शहरों में यह आंकड़ा ₹4 लाख तक भी पहुंच जाता है।
कमाई बनाम खर्च: शिक्षा खा रही है आय
भारत में औसतन सालाना आय ₹4.4 लाख है। वहीं, एक बच्चे की स्कूल फीस ही ₹2 से ₹4 लाख के बीच है।यानी कमाई का 40% से 80% हिस्सा सिर्फ स्कूल की फीस में चला जाता है।
इसलिए अब कई परिवार अपनी बचत खत्म कर रहे हैं, लोन ले रहे हैं और बाकी खर्चों में कटौती कर रहे हैं। दूसरी तरफ, मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है।
क्या हैं विकल्प ?
इसके अलावा, अब माता-पिता यह सोचने लगे हैं कि क्या प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना ही एकमात्र रास्ता है?
क्या अच्छे सरकारी स्कूल या वैकल्पिक शिक्षण पद्धतियां एक समाधान हो सकती हैं ?
इसी बीच, ऑनलाइन शिक्षा या छोटे स्तर पर ट्यूशन आधारित शिक्षा भी एक किफायती विकल्प बन रही है।
‘साइलेंट किलर’ बनती फीस
मीनल गोयल इसे “साइलेंट मिडिल-क्लास किलर” कहती हैं।
यह बात इसलिए अहम है क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं की महंगाई पर चर्चा होती है, लेकिन शिक्षा की बढ़ती लागत पर बहुत कम बात होती है।
सोचने का समय आ गया है
वहीं, अब माता-पिता को खुद से सवाल करना होगा — क्या जो पैसा हम फीस में खर्च कर रहे हैं, उससे वाकई बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो रहा है ? या हम बस एक रिवाज़ को निभा रहे हैं ?
इसी तरह, एक बैलेंस ढूंढने का समय आ गया है, जिससे ना सिर्फ बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, बल्कि परिवार की आर्थिक सेहत भी बनी रहे।