Rajya Sabha – राज्यसभा उपसभापति पद का चुनाव गुरुवार दोपहर 12 बजे से होने जा रहें हैं। जहां एक तरफ बीके हरिप्रसाद तो वहीं दूसरी तरफ हरिवंश उनके सामने खड़े हैं।
ऐसे में आज देखना दिलचस्प होगा की इन दोनों में कौन बाज़ी मरता हैं। राज्यसभा में आंकड़ों के गणित के हिसाब सेदेखा जाए तो हरिवंश की जीत लगभग तय मानी जा रहीं हैं। उनके पक्ष में करीब 126 सदस्यों का समर्थन दिख रहा है तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार हरिप्रसाद के खाते में अधिकतम 111 सदस्यों के वोट ही आते दिख रहे हैं।
सत्ता पक्ष के उम्मीदवार जदयू सदस्य हरिवंश और विपक्ष के साझा उम्मीदवार कांग्रेस सदस्य बीके हरिप्रसाद की दावेदारी का नोटिस दोनों पक्षों ने बुधवार को राज्यसभा सचिवालय को सौंप दिया। हरिवंश के पक्ष में चार प्रस्ताव भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, शिवसेना के संजय राउत, जदयू के रामचंद्र प्रसाद सिंह और अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा की ओर से दिए गए हैं।
भाजपा के रामविचार नेताम, आरपीआइ के रामदास अठावले, जदयू की कहकशां परवीन और अन्नाद्रमुक की वी. सत्यानाथ की ओर से प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया है। बीके हरिप्रसाद के पक्ष में पांच प्रस्ताव विपक्ष की अलग-अलग पार्टियों की ओर से दिए गए हैं।
बसपा के सतीश चंद्र मिश्र, राजद की मीसा भारती, कांग्रेस के आनंद शर्मा, राकांपा की वंदना चौहान और सपा के रामगोपाल यादव ने उनके पक्ष में प्रस्ताव दिया है तो कांग्रेस के विवेक तन्खा, भुवनेश्वर कालिता, टीडीपी के वाईएस चौधरी, राजद के अहमद अशफाक करीम और जदएस के डी. कुपेंद्र रेड्डी ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। बीजद के राजग के साथ जाने की रणनीति के मद्देनजर विपक्षी खेमे के गैरकांग्रेसी दलों ने अपना उम्मीदवार उतारने से मना कर दिया। इसी वजह से कांग्रेस को अपना उम्मीदवार उतारना पड़ा है।
मतदान में हिस्सा नहीं लेंगी ये दो पार्टी
पीडीपी के दो सदस्य और आम आदमी पार्टी (आप) के तीन सदस्य मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे। इसकी जानकारी आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने ट्वीट कर दी, “नीतीश कुमार जी ने अरविंद केजरीवाल जी से बात कर जदयू प्रत्याशी के लिए समर्थन की मांग की।
देखा जाए तो वह भाजपा समर्थित प्रत्याशी हैं, इसलिए उनका समर्थन करना संभव नहीं है। राहुल गांधी जी अपने उम्मीदवार के लिए समर्थन नहीं चाहते इसलिए आप के सामने मतदान का बॉयकॉट करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।”
दरअसल, आप नेता चाहते थे कि कांग्रेस उनसे समर्थन मांगे मगर कांग्रेस ने इस आशय का कोई संदेश नहीं दिया। कुछ छोटे दलों ने अभी अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।